महाकुंभ भगदड़: 30 मौतों के बाद सरकार ने सुरक्षा सख्त की, जानें क्या हुए बदलाव
प्रयागराज के महाकुंभ में 28-29 जनवरी की दरम्यानी रात हुए भगदड़ के हादसे में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए। इस घटना के बाद सरकार ने तुरंत सख्त कदम उठाए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
प्रमुख बदलाव:
- अनुभवी अधिकारियों की तैनाती: राज्य सरकार ने प्रशासन की स्थिति को संभालने के लिए अनुभवी अधिकारियों की टीम को भेजा है। IAS अफसर आशीष गोयल और भानु गोस्वामी, जो पहले भी कुंभ मेले में अहम भूमिका निभा चुके हैं, को कुंभ मेले की निगरानी के लिए बुलाया गया है।
- वीआईपी पास रद्द और नो-व्हीकल जोन: भगदड़ के बाद सरकार ने सभी वीआईपी पास को रद्द कर दिया है और मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित किया है। इससे श्रद्धालुओं को पैदल यात्रा में सुविधा मिलेगी और भीड़ से होने वाली घटनाओं पर नियंत्रण रखा जा सकेगा।
- सुरक्षा के कड़े कदम:
- वन-वे ट्रैफिक: श्रद्धालुओं के लिए आने और जाने के रास्ते अलग-अलग किए गए हैं।
- सुरक्षा बैरिकेडिंग: संगम नोज पर बैरिकेडिंग को मजबूत किया गया है।
- मेले स्पेशल ट्रेनें: रेलवे ने विशेष ट्रेन सेवा शुरू की है।
- सीसीटीवी और ड्रोन निगरानी: मेला क्षेत्र पर सख्त निगरानी रखी जा रही है।
जांच और सहायता:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। पूर्व न्यायाधीश हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है जो भगदड़ की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।
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हादसा कैसे हुआ:
भगदड़ उस वक्त मची जब ओल्ड जीटी रोड से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ संगम क्षेत्र में पहुंची। एक महामंडलेश्वर की गाड़ी के पास महिलाएं गिर गईं और इसके बाद भगदड़ शुरू हो गई। मौके पर पांच लोग मारे गए, जिनमें एक बच्ची भी शामिल थी।
अखाड़ों की प्रतिक्रिया:
हादसे के बाद कई अखाड़ों और साधु-संतों ने प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ नाराजगी जताई। हालांकि, बाद में उन्हें समझा-बुझाकर शांत किया गया।
अब सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं और भगदड़ जैसी घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से मजबूत किया है।