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भारत में शहीद दिवस की दोहरी परंपरा: महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह तक

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Shaheed Diwas 2025: भारत में शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है दो बार? जानें इतिहास और अंतर

भारत में शहीद दिवस दो बार मनाया जाता है, और इसके पीछे खास ऐतिहासिक कारण हैं। यह दिन उन महान शहीदों को याद करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान की बाजी लगाई। हालांकि, दोनों शहीद दिवस अलग-अलग घटनाओं से जुड़े हैं और उनके महत्व में भी अंतर है। आइए, समझते हैं कि शहीद दिवस साल में दो बार क्यों मनाया जाता है और इन दोनों के बीच क्या अंतर है।

1. 30 जनवरी – महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (Shaheed Diwas)
30 जनवरी को शहीद दिवस मनाने का मुख्य कारण महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। इस दिन 1948 में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, और उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुआ। गांधी जी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के जरिए स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था, और उनका योगदान भारतीय समाज में अनमोल है। इस दिन देशभर में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, खासकर राजघाट पर, जहां देश के नेता उन्हें नमन करते हैं और पूरे देश में 2 मिनट का मौन रखा जाता है। यह दिन शांति और एकता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

2. 23 मार्च – भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत (Shaheed Diwas)
23 मार्च को शहीद दिवस मनाने का कारण है भारतीय क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत। 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश हुकूमत ने इन तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी थी। इन महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, ताकि देश को ब्रिटिश शासन से मुक्ति मिल सके। उनकी शहादत ने भारतीयों को स्वतंत्रता की प्रेरणा दी। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य इन वीरों के बलिदान को सम्मानित करना है और उनके संघर्ष को याद करना है।

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शहीद दिवस के बीच अंतर
30 जनवरी और 23 मार्च के शहीद दिवस के बीच मुख्य अंतर उनके उद्देश्य और महत्व में है:

  • 30 जनवरी: यह दिन महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों और उनके सिद्धांतों को श्रद्धांजलि देने का है। यह शांति, एकता और सत्य के संदेश को फैलाने का दिन है।
  • 23 मार्च: यह दिन उन क्रांतिकारी शहीदों की शहादत का प्रतीक है जिन्होंने हिंसक संघर्ष के द्वारा देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। यह दिन स्वतंत्रता संग्राम के एक साहसी पहलू को सम्मानित करने का है।

दोनों शहीद दिवस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं को याद करने और उनके योगदान को मान्यता देने के दिन हैं, लेकिन उनके उद्देश्य और सम्मान का तरीका अलग है।

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