रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
कविराज
रायपुर छत्तीसगढ़
“चिड़ियों की चहक”
रोज सुबह चिड़ियों ने
भावनात्मक प्रेम फैलाया।
चहक – चहक कर एक दूसरे को खूब जगाया।
सोने वाले सोते रह गए,
खोने वाले खोते रह गए।
हासिल कुछ भी नहीं कर पाया,
रोज सूरज की लाली को गवाया।
जिसने देखा चिड़ियों को चहकते
फूलों को महकते,
सूरज की लालिमा घर पर उतर आया
तन बदन में जान आया।
नेक कर्म से सुबह की शुरुआत
ऊर्जा भर – भर आया।
जो करे निःस्वार्थ सेवा
परम आनंद को पाया।