Narayanpur : आया से गुहार लगाने नारायणपुर से दंतेवाड़ा तक निकली सामाजिक सद्भाव यात्रा

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आया से गुहार लगाने नारायणपुर से दंतेवाड़ा तक निकली सामाजिक सद्भाव यात्रा

नारायणपुर :- दिनांक 9 जनवरी से नारायणपुर से दंतेवाड़ा तक जनजातीय समाज के द्वारा यात्रा का शुभारंभ किया गया। बस्तर सांस्कृतिक सुरक्षा मंच के संयोजक महेश कश्यप ने बताया कि भारतीय इतिहास में बस्तर की सांस्कृतिक पारंपरिक परंपरा अनोखा एवम अद्भुत रहा है, हजारों वर्षों के गुलामी कल में भी अंग्रेज,मुगल अन्य अन्य आए परंतु बस्तर की संस्कृति परंपरा को तोड़ नहीं पाए। किंतु दुर्भाग्य से आजाद भारत के कुछ वर्षों से बस्तर की सांस्कृतिक परंपराओं को षडयंत्र पूर्वक निरंतर को खत्म करने का प्रयास चल रहा है। बाहरी लोगों द्वारा सेवा शिक्षा स्वास्थ्य के बहाने अवैध धर्म परिवर्तन करना तो कहीं वामपंथी माओवादी की आड़ में जल जंगल जमीन का अधिकार दिलाने का झूठा परपंच कर आपस में लड़ा कर आदिवासीयो का संवैधानिक अधिकार शिक्षा स्वास्थ्य सड़क बिजली पानी मुख्य धाराओं से कटकर निर्मम हत्याएं करना आम बात हो गया है। इसके साथ ही सांस्कृतिक रूप से विमर्श खड़े करने के लिए आदिवासी हिंदू नहीं है हम रावण एवं महिषासुर के वंशज है सामाजिक विद्वेष लाकर आपस में लड़ाना धर्मांतरण और वामपंथी विचारधारा को बढ़ावा देना आम बात हो गया। बस्तर में अनेक जाति समाज के लोग सदियों से निवास करते आ रहे हैं ।

आयोजन समिति के समन्वयक मगाऊ राम कावड़े ने कहा की अलग-अलग जाति पार्टी सामाजिक नीति नियम व्यवस्था होने के बाद भी गांव में एकता भाईचारा संभव कायम रहा है समाज को धर्म संस्कृति परंपरा से तोड़कर बस्तर को मुख्य धारा से अलग करना इनका मुख्य उद्देश्य रहा है अलोकतांत्रिक विदेशी अलगाववादियों के खिलाफ हमारे बस्तर सदियों पुराना सामाजिक व्यवस्था मांझी पुजारी पटेल सिरहा गुनिया गायता नायक पाइका मिलकर जल जंगल जमीन संस्कृति को बनाए रखें है। जितना पुराना भारत का इतिहास है उतना ही पुराना इतिहास जनजाति समाज का है बस्तर में आने वाली विपत्तियों को यहां के पुत्र रूप समाज में साथ मिलकर सामना किया है।

मुख्य रूप से देखा गया तो बस्तर के सभी संघर्षों में सभी जातियों का जैसे माडिया,मुरिया, हलबा, गोंड, भतरा महार महारा कलार राउत तेली केवट कुम्हार, पनका, लोहार सदियों से बस्तर के सभी लोग परंपरा सामाजिक सद्भाव संस्कृति एकता परस्पर सहयोग कर जीवन जीते हुए अपनी संस्कृति बनाए रखें है। इसके अलावा सभी जातियों में उपनाम प्राय: सामान पाया जाता है जैसे बघेल नायक मरकाम कुंजम कश्यप मांडवी किंतु आज विदेशी ताकत से प्रेरित स्वार्थी प्रवृत्ति के लोग जनजाति समाज में अलगाव भरने का प्रयास कर रहे हैं जिससे जनजातीय एवम गैर जनजातीय समाज के मध्य भी अलगाव की भावना पैदा हो रही है इन सभी विषय को समाज जीवन तक पहुंचाने एवम बाहरी विदेशी शक्तियों को संदेश देने आज 9 जनवरी को नारायणपुर से 11 जनवरी दंतेवाड़ा तक यात्रा कर सभा करते हुए कार्यक्रम किया जाएगा ।

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