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ग्राम पंचायत पाहन्दा: लाखों की लागत, लेकिन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का उपयोग सिर्फ कंडे सुखाने में

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ग्राम पंचायत पाहन्दा का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट: लाखों की लागत, पर काम न आया

ग्राम पंचायत पाहन्दा: लाखों की लागत, लेकिन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का उपयोग सिर्फ कंडे सुखाने में

  • ग्राम पंचायत पाहन्दा का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
  • निर्माण में लापरवाही और फिजूल खर्च

बेमेतरा. ग्राम पंचायत पाहन्दा में लाखों रुपये की लागत से बनाए गए ग्रे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति गंभीर लापरवाही को दर्शाती है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और जल प्रबंधन को बेहतर बनाना था, लेकिन यहाँ इस प्लांट का उपयोग कंडे सुखाने के लिए किया जा रहा है, जो योजना की विफलता को साबित करता है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत, शासन और प्रशासन ने जलभर के चिन्हित गाँवों में तालाब के समीप ग्रे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया था। बावजूद इसके, ग्राम पंचायत पाहन्दा में निर्माण कार्य में भारी अनियमितताएँ सामने आई हैं। यह प्लांट खराब गुणवत्ता की सामग्री से तैयार किया गया है और इसके निर्माण में पंचायत प्रशासन की लापरवाही साफ दिखाई देती है।

स्थानीय पंचायत प्रशासन ने बिना कोई स्पष्ट योजना या दूरदृष्टि के इस प्रोजेक्ट का निर्माण करवा दिया, जिसके कारण योजना की सफलता पर सवाल उठने लगे हैं। यह प्रोजेक्ट बेमेतरा जिले के 22 गाँवों में लागू किया गया था, जिनमें से अधिकांश में गड़बड़ियाँ और एजेंसी की मनमानी की शिकायतें सामने आ रही हैं। इस मामले की जांच की मांग भी उठने लगी है।

ग्राम पंचायत के सचिव, निल शर्मा ने बताया कि पिछले साल इस प्रोजेक्ट की स्वीकृति मिली थी और इसका निर्माण पूरा कर लिया गया है, लेकिन पंचायत को अब तक सिर्फ 10 हजार रुपये की एक ही किस्त प्राप्त हुई है, जबकि बाकी की राशि का इंतजार किया जा रहा है। इसके अलावा, इस प्लांट में जलभराव की कोई व्यवस्था नहीं है और चारों ओर कीचड़ और दलदल भरी हुई है, जो स्वच्छता के लक्ष्य को विफल कर रहा है।

स्थानीय सरपंच बतीलाल निषाद ने भी इस प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया, लेकिन जिला पंचायत के सीईओ और अफसरों के साथ उनके संवाद में इस प्लांट की असली स्थिति पर कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली। नतीजतन, ग्राम पंचायत प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

इस प्रकार, लाखों रुपये खर्च करके बनाए गए इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कोई वास्तविक उपयोग नहीं हो रहा है, और स्वच्छता मिशन का उद्देश्य भी विफल हो रहा है।

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