छत्तीसगढ़ के किसानों में बड़ी उलझन, धान केंद्रों से हताश लौट रहे अन्नदाता
Chhattisgarh : किसान रवि शंकर साहू ने बताया कि जब उन्होंने टोकन कटवाने के लिए खरीदी केंद्र का दौरा किया तो उन्हें पता चला कि 15 क्विंटल प्रति एकड़ धान ही लिया जाएगा… ये सुनकर वो काफी निराश हुए.
BJP के MCB जिला अध्यक्ष अनिल केसरवानी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह किसानों और जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं। उनका कहना था कि कांग्रेस की नीतियों के विपरीत, वर्तमान सरकार अपने वादों पर पूरी तरह से कायम है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस बार भी 21 क्विंटल धान की खरीदी सुनिश्चित की जाएगी, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत है। उनके अनुसार, यदि किसी भी अधिकारी ने धान खरीदने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उनका यह बयान किसानों के बीच आश्वासन देने के उद्देश्य से था, ताकि वह सरकार की योजनाओं और वादों में विश्वास बना सके।
हालांकि, इस बीच पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने खरीदी प्रक्रिया में देरी के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बारदानों की कमी और कस्टम मिलिंग में देरी ही मुख्य कारण हैं, जिनके कारण धान की खरीदी प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है। किसानों की यह शिकायत गंभीर हो गई है, क्योंकि बार-बार पूछने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही। ऐसे में किसानों की परेशानी और बढ़ गई है, क्योंकि वह समय पर अपनी फसल बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा।
किसानों का कहना है कि सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उनका मानना है कि खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और प्रशासनिक समस्याओं के कारण किसान परेशान हो रहे हैं। अगर धान खरीदी की सीमा 21 क्विंटल ही निर्धारित है, तो इसे सभी केंद्रों पर लागू किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। केंद्रों पर बार-बार पूछने के बावजूद किसानों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है, जिसके कारण उनकी नाराजगी और बढ़ी है।
किसानों की समस्या यह भी है कि उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार खरीदी की प्रक्रिया इतनी धीमी क्यों है। जब उन्होंने इस बारे में अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की, तो उन्हें कोई ठोस समाधान या सही दिशा नहीं मिली। इस कारण किसानों का विश्वास प्रशासन से उठने लगा है। कई किसानों ने आरोप लगाया कि यदि प्रशासन सही तरीके से काम करता और खरीदी के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराता, तो समस्या बहुत पहले हल हो सकती थी।
अब किसानों की नजरें राज्य सरकार पर टिकी हुई हैं। उनका मानना है कि अगर सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द ही कार्रवाई नहीं की, तो उनकी स्थिति और भी खराब हो सकती है। किसानों ने यह भी कहा कि अगर सरकार ने उनके हितों का ख्याल रखा और प्रशासनिक समस्याओं का समाधान किया, तो निश्चित रूप से किसानों का विश्वास सरकार के प्रति और मजबूत होगा।
किसानों की इन समस्याओं को लेकर विपक्षी दल भी सरकार पर निशाना साध रहे हैं और उन्हें जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के पास सभी संसाधन हैं, लेकिन वह उन्हें सही तरीके से उपयोग नहीं कर रही है। इसके कारण किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इन समस्याओं का समाधान कैसे करती है और किसानों को संतुष्ट करने के लिए क्या कदम उठाती है।
कुल मिलाकर, यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है और सरकार पर दबाव है कि वह इस मुद्दे को शीघ्र सुलझाए ताकि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।