आचार संहिता के कड़े नियम, जिसके उल्लंघन पर नप जाते हैं बड़े-बड़े नेता?
आचार संहिता एक ऐसी विधिक व्यवस्था है जो चुनावों के दौरान लागू होती है और इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है। इस समय किसी भी राजनीतिक दल को सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं होती, और इसके उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाती है। आचार संहिता के उल्लंघन पर न केवल नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है, बल्कि आम जनता के लिए भी यह एक चेतावनी होती है।
आचार संहिता के उल्लंघन के तहत आने वाली प्रमुख बातों में शामिल हैं:
- सार्वजनिक उद्घाटन, शिलान्यास बंद: चुनावी समय में कोई नया शिलान्यास या उद्घाटन नहीं किया जा सकता।
- नए कामों की स्वीकृति बंद: चुनाव के दौरान नए सरकारी कामों की स्वीकृति पर रोक रहती है।
- सरकारी उपलब्धियों वाले होर्डिंग्स नहीं लगेंगे: चुनाव के दौरान सरकार की किसी भी तरह की उपलब्धियों के प्रचार के लिए होर्डिंग्स और पोस्टर लगाने पर प्रतिबंध होता है।
- चुनाव क्षेत्र में शासकीय दौरे नहीं होंगे: सरकार के अधिकारी और मंत्री चुनाव क्षेत्र में किसी शासकीय दौरे पर नहीं जा सकते।
- सरकारी वाहनों में सायरन नहीं लगेंगे: सरकारी वाहनों पर सायरन का प्रयोग भी चुनाव के दौरान प्रतिबंधित होता है।
- सरकारी भवनों में नेताओं के फोटो निषेध: सरकारी भवनों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी राजनीतिक व्यक्तित्व के फोटो लगाना प्रतिबंधित है।
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- सरकारी मीडिया विज्ञापनों पर रोक: सरकार द्वारा किसी भी माध्यम में उपलब्धियों के विज्ञापन पर रोक लगाई जाती है, जैसे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या अन्य मीडिया में।
- रिश्वत या प्रलोभन से बचें: चुनावी प्रक्रिया में किसी तरह के रिश्वत या प्रलोभन से बचना अनिवार्य है।
- सोशल मीडिया पर ध्यान रखें: सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह आचार संहिता के नियमों के अनुसार हो। गलत पोस्ट करने से कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
इसलिए चुनावों के दौरान किसी भी प्रकार के सरकारी आयोजनों या सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर सख्त सावधानी बरतनी चाहिए। इन नियमों का उल्लंघन चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप कानूनी सजा हो सकती है।