दूसरी बार अपराध करने वालों को जिलाबदर! क्या यह नई कानूनी सख्ती समाज में अशांति रोक पाएगी?
अंबिकापुर: जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से जिला मजिस्ट्रेट ने दो व्यक्तियों को जिला बदर करने का आदेश जारी किया है। पुलिस अधीक्षक, सरगुजा द्वारा राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 5(क)(ख) के तहत श्याम सोनी (निवासी बरेजपारा, अम्बिकापुर) और विद्याधर दास उर्फ छोटू (निवासी असोला समलाया पारा, अम्बिकापुर) के खिलाफ जिलाबदर कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा था।
प्रतिवेदन के आधार पर दोनों आरोपियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और विधिवत सुनवाई का अवसर भी प्रदान किया गया। अभियोजन साक्ष्यों और दस्तावेजों की जांच के बाद जिला मजिस्ट्रेट ने आरोपों को सही मानते हुए 05 फरवरी 2025 से एक वर्ष तक सरगुजा, जशपुर, रायगढ़, कोरबा, बलरामपुर और सूरजपुर जिलों की सीमा से इन दोनों को निष्कासित (जिला बदर) करने का आदेश दिया है।
यह कदम क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अवांछनीय गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।
आइये जाने क्या होता है ‘जिलाबदर’
जिलाबदर एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को किसी निश्चित समय के लिए या स्थायी रूप से एक विशेष जिले की सीमा से बाहर कर दिया जाता है। यह आदेश आमतौर पर उन लोगों के खिलाफ दिया जाता है, जिनके बारे में यह माना जाता है कि वे सार्वजनिक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। जिलाबदर का आदेश भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) और राज्य सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) जैसे कानूनों के तहत जारी किया जा सकता है।
जिलाबदर का उद्देश्य
- कानून और व्यवस्था बनाए रखना: यह कार्रवाई ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ होती है जो अव्यवस्था और अशांति फैला सकते हैं, ताकि सार्वजनिक सुरक्षा बनी रहे।
- अवांछनीय गतिविधियों को रोकना: जिन व्यक्तियों के बारे में यह माना जाता है कि वे समाज में अवैध या आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं, उनके खिलाफ यह कदम उठाया जाता है।
- शांति बनाए रखना: जिलाबदर आदेश का मुख्य उद्देश्य जिले की शांति और सामान्य जीवन को बनाए रखना होता है।
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जिलाबदर आदेश की प्रक्रिया
- प्रतिवेदन: जिलाबदर आदेश जारी करने से पहले पुलिस अधीक्षक या संबंधित अधिकारी एक प्रतिवेदन तैयार करते हैं, जिसमें उस व्यक्ति की अवांछनीय गतिविधियों का विवरण होता है।
- कारण बताओ नोटिस: आरोपियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है, जिसमें उन्हें यह बताने का मौका दिया जाता है कि क्यों उनके खिलाफ जिलाबदर आदेश नहीं जारी किया जाना चाहिए।
- सुनवाई: आरोपियों को विधिवत सुनवाई का अवसर दिया जाता है, जहां वे अपने पक्ष को प्रस्तुत कर सकते हैं।
- निर्णय: अभियोजन साक्ष्यों और अन्य दस्तावेजों की जांच के बाद, जिला मजिस्ट्रेट या संबंधित अधिकारी निर्णय लेते हैं। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो आदेश जारी किया जाता है।
कानूनी प्रावधान
- राज्य सुरक्षा अधिनियम, 1990 (NSA): इस अधिनियम के तहत जिलाबदर आदेश दिया जा सकता है। यह अधिनियम खासतौर पर उन व्यक्तियों के खिलाफ उपयोग किया जाता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।
- पुलिस एक्ट और अन्य स्थानीय कानून: इन कानूनों के तहत भी जिलाबदर आदेश जारी किया जा सकता है यदि व्यक्ति के कार्य से समाज में अशांति फैलने का खतरा हो।
प्रभाव
जिलाबदर आदेश का पालन न करने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इससे व्यक्ति को उस जिले में रहने, काम करने या यात्रा करने की अनुमति नहीं होती। अगर आदेश को उल्लंघन किया जाता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और दंडित किया जा सकता है।
जिलाबदर एक महत्वपूर्ण कानूनी उपकरण है जिसका उद्देश्य समाज की सुरक्षा और शांति को बनाए रखना है, विशेषकर उन व्यक्तियों के खिलाफ जिनसे कानून-व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है।