कोरिया. छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के बैकुंठपुर क्षेत्र में एक बाघ की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है, जिसमें वन विभाग ने बाघ की मौत का कारण जहर को बताया है। कोरिया वन मंडल और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान की संयुक्त टीम द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि मृत बाघ के शरीर पर किसी प्रकार की अंग-भंग नहीं हुई थी और उसकी खाल, नाखून, तथा दांत सुरक्षित थे। हालांकि, बाघ की मौत के सभी संभावित कारणों की विस्तृत जांच अभी भी जारी है।
नाले के किनारे मिली बाघ की लाश
यह घटना 8 नवंबर को दोपहर लगभग 1 बजे की है, जब ग्राम कटवार के पास स्थित खनखोपड़ नाले के किनारे एक बाघ की लाश देखी गई। स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग के परिसर रक्षक को दी। घटनास्थल कोरिया वन मंडल के क्षेत्र कक्ष क्रमांक पी 196 के अंतर्गत आता है। सूचना मिलते ही कोरिया के डीएफओ, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर के संचालक, सीसीएफ सरगुजा वन वृत्त अम्बिकापुर, और वन संरक्षक (वन्यप्राणी) मौके पर पहुंचे।
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पोस्टमार्टम के बाद किया गया अंतिम संस्कार
वन विभाग की टीम ने घटनास्थल के आसपास लगभग 1.5 से 2 किलोमीटर क्षेत्र में तलाशी ली। प्रथम दृष्टया, बाघ की लाश 2-3 दिन पुरानी प्रतीत हुई। वन विभाग, पुलिस विभाग, और NTCA (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) के प्रतिनिधि और स्थानीय ग्रामीणों की उपस्थिति में 4 सदस्यीय पशु चिकित्सक टीम ने बाघ का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाघ की मौत का कारण संभावित रूप से जहर होना बताया गया है। इसके बाद मृत बाघ के सभी आवश्यक अंगों को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा गया और नियमानुसार दाह संस्कार किया गया।
जांच और अपराधियों की खोज
कोरिया वन मंडल और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान की टीम ने आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण किया और अपराधियों की खोजबीन शुरू की। जांच के दौरान अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर भी मौजूद थे। सभी वन अधिकारियों और कर्मचारियों को अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, वाइल्डलाइफ क्राइम नियंत्रण के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाने पर जोर दिया गया है।
गिरती बाघों की संख्या: चिंता का विषय
देशभर में बाघों की संख्या में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। 2014 में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 46 थी, जो 2018 में घटकर 19 और 2022 में केवल 17 रह गई।
इस गिरावट के पीछे आवास की कमी, शिकार, और मानव-बाघ संघर्ष जैसे कारक माने जा रहे हैं। इसके विपरीत, मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। 2014 में मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 308 थी, जो 2018 में बढ़कर 526 और 2022 में 785 तक पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या एक गंभीर चिंता का विषय है, और बाघ संरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
जांच के नतीजों पर सबकी नजर
इस घटना की जांच छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर जहर दिए जाने की संभावना को लेकर। आगे की जांच से यह स्पष्ट हो सकेगा कि बाघ की मौत के पीछे किसकी मंशा थी और किस प्रकार जहर का इस्तेमाल हुआ। वन विभाग इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।