Raipur. छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से राज्य सरकार अब पांचवीं और आठवीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की तैयारी कर रही है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उठाया जा रहा है ताकि शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और मानकों को सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि, फिलहाल परीक्षा के परिणाम के आधार पर बच्चों को पास या फेल करने का निर्णय नहीं लिया गया है।
लोक शिक्षण संचालनालय ने इस नई व्यवस्था के लिए तैयारी शुरू कर दी है, परंतु यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि बोर्ड परीक्षा किस शैक्षणिक सत्र से लागू होगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पहले से आठवीं तक के बच्चों को फेल नहीं करने की नीति बनाई थी, जिससे 2010 से लागू आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत इन कक्षाओं के सभी बच्चों को पास किया जाता रहा है।
इस नीति के कारण शिक्षा में अनुशासन की कमी देखी गई, जिससे बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कुछ निजी और मॉडल स्कूलों में कमजोर बच्चों के लिए रेमेडियल टीचिंग की व्यवस्था लागू की गई है, लेकिन अधिकतर सरकारी स्कूलों में यह प्रभावी नहीं हो पाई। विशेषज्ञों का मानना है कि अनुशासनहीनता से शिक्षा प्रणाली पर विपरीत असर हुआ है और खासकर सरकारी स्कूलों के बच्चों को इसका नुकसान हुआ है।
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राज्य सरकार के निर्देश पर पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी शुरू हो चुकी है, और इसके लिए नई नियमावली तैयार की जाएगी। आरटीई के अंतर्गत 2010 से सभी बच्चों को पास करने की नीति लागू है, पर अब शिक्षा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए इस नई व्यवस्था को अपनाने का विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में संशोधन करते हुए राज्य सरकारों को इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार दिया है।