बिना फेरे, बिना मंत्र: संविधान को साक्षी मान रचाई शादी, जशपुर के कपल की अनोखी मिसाल
जशपुर. भारत में शादी परंपरागत रस्मों-रिवाज और रीति-रिवाजों के साथ की जाती रही है। परंपरा के अनुसार पंडित मंत्र पढ़ते हैं, और धार्मिक ग्रंथों को साक्षी मानकर फेरे लिए जाते हैं। लेकिन अब समय के साथ, लोग अपनी शादी को खास और यादगार बनाने के साथ-साथ वायरल बनाने की कोशिश में जुट जाते हैं। इसके लिए वेडिंग प्लानर और सजावट पर भारी खर्च किया जाता है। वहीं, छत्तीसगढ़ के जशपुर में एक कपल ने सादगी और अनोखेपन का उदाहरण पेश किया।
इस कपल ने अपनी शादी को बेहद सरल तरीके से अंजाम दिया। न कोई बारात, न फेरे, और न ही धार्मिक रस्में। दोनों ने कोर्ट में भारत के संविधान को साक्षी मानते हुए सात जन्मों के लिए एक-दूसरे का साथ निभाने की कसमें खाईं।
इलाके में पेश की नई मिसाल
जशपुर के इस कपल ने अनोखे तरीके से शादी कर इलाके में नई मिसाल पेश की। कापू गांव के युवक-युवतियों पर इसका असर पड़ा है और अब वे भी इस तरह सादगी से शादी करना पसंद कर रहे हैं। इन शादियों में कोई दिखावा नहीं होता और न ही पैसों की बर्बादी। यहां लोग संविधान की शपथ लेकर अपने जीवनसाथी का हाथ थाम रहे हैं। इस कदम की इलाके में काफी तारीफ हो रही है।
संविधान ही सर्वोपरि
यमन लहरे और प्रतिमा माहेश्वरी नामक इस दंपति ने संविधान की शपथ लेकर शादी की। उनका मानना है कि संविधान ही उनका भगवान है और इसी वजह से उन्होंने इसे साक्षी मानकर शादी करने का निर्णय लिया। दोनों ने अपने घरवालों को इस फैसले की जानकारी दी, और तय मुहूर्त पर विवाह कर लिया।
इस जोड़े की पहल को कई लोगों ने सराहा और उनके कदम को प्रेरणादायक बताया।