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क्या होता है अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाए? मृत्यु के बाद किससे वसूली की जाती है?

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लोन लेने वाले की मौत के बाद बैंक किससे करेगा रिकवरी? जानिए पूरी प्रक्रिया

आज के दौर में लोन लेना एक आम बात हो गई है। लोग घर, कार, बिजनेस या अन्य पर्सनल जरूरतों के लिए बैंक से लोन लेते हैं और उसे हर महीने किस्तों (EMI) में चुकाते हैं। लेकिन क्या होगा अगर लोन चुकाने से पहले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए? ऐसे में बैंक अपने पैसे की रिकवरी कैसे करता है? आइए जानते हैं इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से।

अगर लोन लेने वाले की मौत हो जाए तो क्या होगा?

अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो बैंक अपनी बकाया राशि की वसूली के लिए कुछ विशेष कदम उठाता है।

  1. को-ऐप्लिकेंट से वसूली
    यदि लोन किसी को-ऐप्लिकेंट (सह-आवेदक) के साथ लिया गया है, तो बैंक सबसे पहले उसी से बकाया लोन चुकाने की मांग करता है।
  2. गारंटर या कानूनी उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी
    यदि लोन के लिए कोई गारंटर (guarantor) है, तो बैंक उनसे लोन चुकाने के लिए कहता है। इसके अलावा, मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heirs) भी इस लोन की जिम्मेदारी में आ सकते हैं।
  3. संपत्ति जब्ती और नीलामी
    यदि को-ऐप्लिकेंट, गारंटर या उत्तराधिकारी लोन चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो बैंक मृतक की संपत्ति को जब्त कर सकता है। जब्त की गई संपत्ति को नीलाम कर बैंक अपनी रकम वसूलता है।

होम लोन और कार लोन की रिकवरी कैसे होती है?

यदि मृतक ने होम लोन या कार लोन लिया था, तो बैंक उस घर या गाड़ी को जब्त कर सकता है। इसके बाद, नीलामी के जरिए इन संपत्तियों को बेचकर बैंक अपनी बकाया राशि वसूलता है।

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पर्सनल लोन की स्थिति में क्या होता है?

पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन होता है, यानी इसमें कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती। अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है और कोई को-ऐप्लिकेंट या गारंटर नहीं है, तो बैंक कानूनी प्रक्रिया के तहत मृतक की संपत्ति का दावा कर सकता है।

टर्म इंश्योरेंस कैसे बचा सकता है परिवार को?

लोन की जिम्मेदारी से परिवार को बचाने के लिए टर्म इंश्योरेंस एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यदि लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो टर्म इंश्योरेंस का क्लेम करके बैंक का लोन चुकाया जा सकता है, जिससे परिवार की संपत्ति सुरक्षित रह सकती है।

लोन लेने से पहले उसकी शर्तों और संभावित जोखिमों को समझना जरूरी है। को-ऐप्लिकेंट, गारंटर और कानूनी उत्तराधिकारी को भी लोन से जुड़ी जिम्मेदारियों के बारे में पता होना चाहिए। साथ ही, टर्म इंश्योरेंस लेना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है, जिससे भविष्य में परिवार को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े।

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