पीरियड्स से जुड़ी ऐसी बातें जो आज भी समाज में छुपाई जाती हैं! क्या आप जानते हैं? मासिक धर्म से जुड़े रोचक तथ्य
नई दिल्ली: मासिक धर्म (Periods) महिलाओं के जीवन का एक स्वाभाविक और महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसे लेकर अब भी समाज में कई तरह की भ्रांतियां और मिथक व्याप्त हैं। कई महिलाएं इस दौरान असहज महसूस करती हैं, और शर्म या अज्ञानता के कारण सही जानकारी नहीं ले पातीं। इस रिपोर्ट में हम मासिक धर्म से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि इस विषय पर जागरूकता बढ़ाई जा सके और महिलाएं अपने स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रख सकें।
मासिक धर्म क्या है और यह क्यों होता है?
मासिक धर्म महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक आवश्यक हिस्सा है। यह एक चक्र (Menstrual Cycle) है, जो आमतौर पर 21 से 35 दिनों के बीच चलता है। इसमें ओवरी (अंडाशय) से हर महीने एक अंडाणु निकलता है, जिसे अंडोत्सर्ग (Ovulation) कहा जाता है। यदि यह अंडाणु निषेचित नहीं होता, तो गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) झड़ जाती है और रक्त के रूप में योनि से बाहर निकलती है। इसे ही मासिक धर्म कहा जाता है।
पीरियड्स आमतौर पर किशोरावस्था (12-15 वर्ष की उम्र) में शुरू होते हैं और रजोनिवृत्ति (Menopause) तक चलते हैं, जो लगभग 45-50 वर्ष की उम्र में होती है।
मासिक धर्म के सामान्य लक्षण
हर महिला का पीरियड्स का अनुभव अलग हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से कुछ लक्षण आमतौर पर देखे जाते हैं:
✅ शारीरिक लक्षण:
- पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द (Menstrual Cramps)
- सिरदर्द या माइग्रेन
- कमजोरी और थकान
- अपच और डायरिया
- शरीर में सूजन और ब्लोटिंग
✅ मनोवैज्ञानिक लक्षण:
- मूड स्विंग (चिड़चिड़ापन, गुस्सा, उदासी)
- चिंता और डिप्रेशन
- एकाग्रता में कमी
✅ रक्तस्राव की अवधि और मात्रा:
- सामान्य रूप से 3 से 7 दिन तक रहता है।
- अत्यधिक रक्तस्राव (Menorrhagia) होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
- कभी-कभी बहुत हल्का रक्तस्राव (Hypomenorrhea) भी हो सकता है।
पीरियड्स से जुड़े सामान्य मिथक और उनकी सच्चाई
❌ मिथक 1: मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को मंदिर नहीं जाना चाहिए।
✅ सच्चाई: यह केवल एक सामाजिक धारणा है, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पीरियड्स एक जैविक प्रक्रिया है और इसका किसी धार्मिक पवित्रता से कोई संबंध नहीं है।
❌ मिथक 2: इस दौरान व्यायाम करना हानिकारक होता है।
✅ सच्चाई: हल्की एक्सरसाइज और योग करने से दर्द में राहत मिलती है और मूड भी बेहतर होता है।
❌ मिथक 3: पीरियड्स के दौरान ठंडी चीजें खाने से रक्तस्राव रुक सकता है।
✅ सच्चाई: आहार का पीरियड्स के फ्लो पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि, हेल्दी डाइट लेना जरूरी होता है।
❌ मिथक 4: सेनेटरी नैपकिन को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
✅ सच्चाई: इस्तेमाल किए गए पैड या टैम्पोन को सही तरीके से डिस्पोज़ करना जरूरी है, ताकि स्वच्छता बनी रहे और इंफेक्शन न फैले।
मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और सावधानियां
मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है, ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचा जा सके।
1. उचित सेनेटरी उत्पादों का उपयोग करें
✅ सेनेटरी नैपकिन, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप में से कोई भी विकल्प चुनें।
✅ दिन में हर 4-6 घंटे में पैड बदलें।
✅ मेंस्ट्रुअल कप को ठीक से साफ करें और स्टरलाइज़ करें।
2. साफ-सफाई पर ध्यान दें
✅ हर बार टॉयलेट के बाद योनि को हल्के गुनगुने पानी से धोएं।
✅ इंटीमेट हाइजीन वॉश का ज्यादा उपयोग न करें, क्योंकि यह योनि के प्राकृतिक pH संतुलन को बिगाड़ सकता है।
3. संतुलित आहार लें
✅ आयरन और कैल्शियम युक्त आहार लें।
✅ ज्यादा नमक, चीनी और कैफीन से बचें।
✅ हाइड्रेटेड रहें और खूब पानी पिएं।
4. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें
✅ हल्की एक्सरसाइज करें, जिससे दर्द में राहत मिले।
✅ जरूरत से ज्यादा दर्द हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?
कुछ मामलों में मासिक धर्म के दौरान असामान्य लक्षण दिख सकते हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है।
📌 अगर आपके पीरियड्स नियमित रूप से नहीं आते।
📌 अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा हो।
📌 पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द हो रहा हो।
📌 तीव्र सिरदर्द, उल्टी या कमजोरी महसूस हो रही हो।
अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
सरकार और समाज की पहल
भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन (NGOs) महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति जागरूक करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं।
- सस्ता और मुफ्त सेनेटरी नैपकिन योजना: कई राज्यों में लड़कियों को मुफ्त सैनेटरी पैड दिए जा रहे हैं।
- स्कूलों में जागरूकता अभियान: ग्रामीण इलाकों में मासिक धर्म पर खुलकर चर्चा की जा रही है।
- #MenstrualHygieneDay: हर साल 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है।
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मासिक धर्म महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा एक सामान्य और महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। मासिक धर्म को लेकर झिझक और मिथकों को दूर करना आवश्यक है, ताकि महिलाएं इस दौरान उचित स्वच्छता और स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें।
महिलाओं को अपने शरीर को समझना और इसके प्रति जागरूक रहना चाहिए, ताकि वे किसी भी स्वास्थ्य समस्या को समय रहते पहचान सकें और उसका सही समाधान पा सकें।