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अजब-गजब: गर्भवती पुरुष शिक्षक? बिहार में पुरुषों को भी मिलने लगीं मैटरनिटी लीव!

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बिहार में पुरुष शिक्षक को ‘मैटरनिटी लीव’: शिक्षा विभाग पर सवाल उठने लगे

बिहार में पुरुष शिक्षक को 'मैटरनिटी लीव': शिक्षा विभाग पर सवाल उठने लगे

बिहार के हाजीपुर महुआ प्रखंड स्थित हसनपुर ओसाती हाई स्कूल में एक पुरुष शिक्षक को मैटरनिटी लीव मिलने का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। बीपीएससी शिक्षक जीतेंद्र कुमार सिंह को शिक्षा विभाग ने गर्भवती होने के कारण मैटरनिटी लीव दी और उन्हें सेवामुक्त कर दिया। यह घटना शिक्षा विभाग की ओर से हुई एक गंभीर गलती को उजागर करती है, जिसे विभाग ने स्वीकार भी किया है।

पोर्टल पर हुई गलत जानकारी की वजह से बढ़ी हलचल

शिक्षा विभाग के पोर्टल ‘ई-शिक्षा कोष’ पर इस शिक्षक को गर्भवती बताकर छुट्टी दी गई थी। मैटरनिटी लीव का प्रावधान महिलाओं के लिए होता है, लेकिन इस मामले में एक पुरुष शिक्षक को यह अवकाश प्रदान कर दिया गया। इस घटना के बाद विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं, और इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई मीम्स और मजाक के टॉपिक्स बन गए हैं।

विभाग ने गलती मानी और सुधार का भरोसा दिलाया

https://x.com/news4nations/status/1871497030885081586

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अर्चना कुमारी ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने माना कि पोर्टल पर हुई तकनीकी त्रुटि के कारण ऐसा हुआ और इस गलती को शीघ्र सुधारने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि पुरुष शिक्षकों को इस प्रकार की छुट्टी नहीं दी जाती है और यह एक अनजानी चूक थी, जिसका जल्द ही समाधान किया जाएगा।

शिक्षकों में गुस्सा और हंसी का माहौल

यह घटना अब हाजीपुर के शिक्षकों के बीच गुस्से और हंसी का कारण बन चुकी है। शिक्षकों का कहना है कि यह गलती न केवल विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि पुरुष शिक्षकों के लिए यह एक अपमानजनक स्थिति भी उत्पन्न कर रही है। हालांकि, कुछ शिक्षक इसे मजाक के रूप में ले रहे हैं और इसे अनदेखा करने की बजाय हंसी-ठहाकों में बदल रहे हैं।

मीडिया से बातचीत में भी रुकावट

घटना के बाद जब मीडिया ने विभाग से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, तो विभाग ने कमरे में जाकर मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं दी। कहा गया कि अगर अनुमति मिलती तो शिक्षक इस मुद्दे को और भी मजाकिया तरीके से पेश करते। यह स्थिति शिक्षा विभाग की साख को और कमजोर करती है, और यह घटनाएं विभाग के कामकाजी तरीके पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।

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शिक्षा विभाग की छवि पर असर

इस तरह के घटनाक्रमों से यह साफ हो जाता है कि प्रशासन और विभागों के पोर्टल्स पर सही डेटा एंट्री की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है। विभाग ने गलती मानी है, लेकिन यह घटना और इसके परिणाम कई सवालों को जन्म देती है, खासकर जब यह सार्वजनिक मंचों पर चर्चा का कारण बनती है।

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