SSC परीक्षा बन गई दर्द, दवा की नहीं: दिल्ली में छात्रों का उबाल, एजेंसी चयन पर उठे गंभीर सवाल
नई दिल्ली। देशभर में सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए SSC (Staff Selection Commission) की परीक्षा किसी सपने से कम नहीं होती। लेकिन बीते कुछ महीनों में यह सपना एक तकलीफदेह अनुभव में बदल गया है। दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों और शिक्षकों की भीड़ यही कहानी बयां कर रही है।
सपनों की नौकरी, मगर रास्ता कांटों भरा
भारत जैसे देश में, जहां सरकारी नौकरी सामाजिक प्रतिष्ठा और स्थायित्व का पर्याय मानी जाती है, वहां चयन की जिम्मेदार संस्थान SSC में छात्रों का भरोसा डगमगाने लगा है। छात्र कहते हैं कि परीक्षा देना अब परीक्षा से ज़्यादा संघर्ष बन चुका है — कभी सर्वर क्रैश, कभी सेंटर की बदहाली, और अब नई एजेंसी के कारण बढ़ी अनियमितताएं।
एजेंसी बदलते ही बढ़ी समस्याएं
SSC ने हाल में परीक्षा आयोजन का ठेका Eduquity नामक एजेंसी को दिया, जिसने पहले केंद्र सरकार के लिए कोई परीक्षा आयोजित नहीं की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कंपनी पर पहले से ही मध्यप्रदेश TET, पटवारी परीक्षा और महाराष्ट्र MBA CET में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि कैसे एक प्रतिबंधित एजेंसी को SSC जैसी संवेदनशील संस्था की परीक्षाएं सौंप दी गईं?
सस्ती बोली बन गई महंगा सौदा?
NDTV की पड़ताल के अनुसार, Eduquity ने प्रति छात्र केवल ₹125 की दर से परीक्षा आयोजित करने का टेंडर भरा, जबकि प्रतिस्पर्धी कंपनी ने ₹286 का प्रस्ताव रखा था। हालांकि यह कम दर SSC के लिए आर्थिक रूप से आकर्षक हो सकती थी, लेकिन इसके दुष्परिणाम अब छात्रों को भुगतने पड़ रहे हैं।
प्रदर्शन की गूंज संसद तक
जंतर-मंतर से उठी छात्रों की आवाज संसद तक पहुंची है। चंद्रशेखर आज़ाद जैसे जनप्रतिनिधियों ने छात्रों की मांगों को समर्थन दिया है। इस विरोध में कोचिंग संस्थानों के शिक्षक भी सक्रिय हैं, जो छात्रों की मुश्किलों को सामने ला रहे हैं।
SSC को करना होगा विश्वास पुनर्निर्माण
छात्रों की मांग साफ है — पारदर्शी एजेंसी का चयन हो, तकनीकी अव्यवस्था रोकी जाए और पुरानी विश्वसनीय एजेंसी जैसे TCS को फिर से परीक्षा संचालन सौंपा जाए। SSC के चेयरमैन ने कुछ खामियों को स्वीकारते हुए सुधार की बात की है, लेकिन जब तक परिणाम ज़मीनी स्तर पर नहीं दिखते, छात्र संतुष्ट नहीं होने वाले।
मुख्य बिंदु
- SSC परीक्षा प्रणाली में तकनीकी और व्यवस्थागत विफलताएं
- Eduquity को विवादित प्रक्रिया में टेंडर देने पर सवाल
- छात्रों का प्रदर्शन जंतर-मंतर से संसद तक
- TCS जैसी विश्वसनीय एजेंसी को फिर से लाने की मांग
- पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की आलोचना
- SSC चेयरमैन का सुधार का आश्वासन, लेकिन छात्रों का विश्वास डगमगाया