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‘चुनाव में दिखाओ जोश, अभी चुप रहो!’ – NSUI को फटकारते दिखे खरगे….कांग्रेस जनसभा बना ड्रामा शो!

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‘चुनाव में दिखाओ जोश, अभी चुप रहो!’ – NSUI को फटकारते दिखे खरगे….कांग्रेस जनसभा बना ड्रामा शो!

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित कांग्रेस की ‘किसान-जवान-संविधान’ जनसभा रविवार को चर्चा का विषय बन गई। जहां एक ओर यह जनसभा पार्टी को संगठित करने और आगामी रणनीति तय करने के लिए रखी गई थी, वहीं दूसरी ओर मंच और मैदान पर गुटबाजी और अनुशासनहीनता के दृश्य सामने आए।

सभा को संबोधित कर रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कार्यकर्ताओं की नारेबाजी से असहज हो गए। उन्होंने मंच से स्पष्ट शब्दों में नाराजगी जताते हुए कहा, “चुप बैठो, चुनाव में जोश दिखाना।” यह चेतावनी विशेष रूप से NSUI कार्यकर्ताओं के लिए थी, जो पूरे जोश में नारेबाजी कर रहे थे।

चरणदास महंत और सचिन पायलट ने भी जताई नाराजगी
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत जब सभा को संबोधित कर रहे थे, तब भी NSUI कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी जारी रखी, जिस पर उन्होंने मंच से ही फटकार लगाई। स्थिति बिगड़ती देख प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट खुद खड़े होकर कार्यकर्ताओं को शांत कराने पहुंचे। पीसीसी चीफ दीपक बैज और पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल भी कार्यकर्ताओं को समझाने में लगे रहे।

माइक को लेकर मंच पर हुआ विवाद
सभा के दौरान कांग्रेस की अंदरूनी कलह तब खुलकर सामने आ गई, जब विधायक देवेंद्र यादव और पूर्व विधायक विकास उपाध्याय के बीच मंच पर माइक को लेकर खींचतान देखने को मिली। जैसे ही मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल मंच पर पहुंचे, सभी नेता उनका जोरदार स्वागत करने लगे। इस दौरान विकास उपाध्याय बोल रहे थे और देवेंद्र यादव भी माइक से नारे लगाना चाहते थे। दोनों ने मंच पर माइक साझा किया, लेकिन यह दृश्य पार्टी की एकजुटता के दावों पर सवाल खड़े करता नजर आया।

कार्यक्रम की मंशा पर उठे सवाल
जिस सभा का उद्देश्य पार्टी को एकजुट करना था, वही कार्यक्रम अनुशासनहीनता और आंतरिक खींचतान का प्रतीक बन गया। कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच इस तरह का व्यवहार आगामी चुनावों में कांग्रेस की रणनीति और प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है।

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जनसभा में जोश दिखाने की जगह अगर कार्यकर्ता और नेता संयम और अनुशासन का परिचय देते, तो यह आयोजन कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संदेश बन सकता था। लेकिन फिलहाल, यह जनसभा पार्टी की अंदरूनी चुनौतियों और संगठनात्मक कमजोरियों को ही उजागर कर गई।

 

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