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इस नवरात्रि माता रानी का आगमन डोली पर हुआ है, जो चिंता का संकेत माना जाता है। इसका संबंध आर्थिक मंदी, हिंसा और प्राकृतिक आपदाओं से जोड़ा जाता है
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Gossipbharat.com- शरद नवरात्रि प्रथम दिवस माता शैलपुत्री
शारदीय नवरात्रि 2024: पूजा विधि, समय और शुभ मुहूर्त
आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो गया है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है, जहां देवी दुर्गा के नौ रूपों की विशेष पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। इस दौरान कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है और मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान के साथ आरंभ होती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है।
कलश स्थापना की पूजा विधि:
1. सबसे पहले एक मिट्टी के पात्र में थोड़ी मिट्टी डालें और उसमें जौ के बीज मिलाएं।
2. इसे पात्र में डालकर पानी से हल्का छिड़काव करें।
3. तांबे या मिट्टी के कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उसके ऊपरी हिस्से पर मौली बांध लें।
4. कलश में शुद्ध जल और थोड़ा गंगाजल मिलाएं, फिर उसमें दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ सिक्के डालें।
5. आम या अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रखें।
6. एक नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर मौली बांधें और उसे कलश के ऊपर स्थापित करें।
7. पूजा के दौरान मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करते रहें, जिससे देवी प्रसन्न होती हैं।
मां शैलपुत्री की पूजा:
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है, और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। मां शैलपुत्री साधकों को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं और उनकी साधना को सफल बनाती हैं।
शुभ मुहूर्त:
कलश स्थापना के लिए 2024 में दो शुभ मुहूर्त हैं:
– प्रातः 6:02 से 7:07 तक।
– दूसरा शुभ मुहूर्त 11:34 से 12:21 तक।
इस नवरात्रि माता रानी का आगमन डोली पर हुआ है, जो चिंता का संकेत माना जाता है। इसका संबंध आर्थिक मंदी, हिंसा और प्राकृतिक आपदाओं से जोड़ा जाता है।
इस नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु नौ दिनों तक मां के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं और साधना में लीन रहते हैं।