छत्तीसगढ़ में शर्मसार करने वाला कांड: संप्रेक्षण गृह में अपचारी बालक से यौन शोषण, POCSO एक्ट में हुई गिरफ्तारी
दुर्ग। एक बार फिर बाल सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। दुर्ग जिले के बाल संप्रेक्षण गृह से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक परिवीक्षा अधिकारी पर नाबालिग अपचारी बालक के साथ यौन शोषण का आरोप लगा है। पीड़ित बालक की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ POCSO एक्ट और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।
पीड़ित की अनसुनी गुहार
बालक ने कई बार विभिन्न निरीक्षणों के दौरान अधिकारियों से उत्पीड़न की शिकायत की थी, लेकिन हर बार उसे अनदेखा कर दिया गया। आखिरकार मामला तब सामने आया जब पीड़ित ने सीधे न्यायालय के समक्ष अपनी पीड़ा रखी। इसके बाद पूरे सिस्टम में हड़कंप मच गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग की शिकायत पर FIR
घटना की पुष्टि होते ही महिला एवं बाल विकास विभाग ने पुलगांव थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के आधार पर परिवीक्षा अधिकारी रामकुमार सूर्यवंशी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। उसके खिलाफ POCSO एक्ट और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
संप्रेक्षण गृह पहले भी विवादों में
दुर्ग का यह संप्रेक्षण गृह पहले भी सुरक्षा चूक, बालकों के फरार होने और कर्मचारियों के दुर्व्यवहार जैसी घटनाओं को लेकर चर्चा में रहा है। इस बार यह मामला कहीं अधिक गंभीर है क्योंकि इसमें एक अफसर द्वारा ही एक बालक का यौन शोषण किया गया है।
सुरक्षा के बावजूद हुई घटना
गौर करने वाली बात यह है कि संप्रेक्षण गृह में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और वहां कई कर्मचारी तैनात रहते हैं। इसके बावजूद आरोपी ने जिस तरह से घटना को अंजाम दिया, वह व्यवस्था की विफलता को उजागर करता है।
अब तक चुप्पी, आगे क्या?
मामले की संवेदनशीलता के बावजूद महिला एवं बाल विकास विभाग के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या पीड़ित केवल एक ही बालक है या इस घटना में और भी बच्चे शामिल हो सकते हैं।
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बाल संरक्षण प्रणाली पर गंभीर सवाल
यह मामला केवल एक अपराध नहीं, बल्कि बाल अधिकारों की सुरक्षा प्रणाली की कमजोरी को भी उजागर करता है। सवाल यह है कि जब एक बाल संरक्षण केंद्र में ही बालक सुरक्षित नहीं है, तो फिर समाज में उनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है?