सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अब कोई महिला मातृत्व अवकाश से वंचित नहीं होगी – सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 23 मई 2025:सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि मातृत्व अवकाश केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि हर महिला का मौलिक अधिकार है। यह लाभ भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अनिवार्य हिस्सा माना गया है।
यह फैसला तमिलनाडु की एक महिला सरकारी कर्मचारी के मामले में आया, जिसे उसकी दूसरी शादी से हुए बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था। महिला पहले से दो बच्चों की मां थी, लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट किया कि महिला की वैवाहिक स्थिति या बच्चों की संख्या उसके मातृत्व अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकती।
कोर्ट की टिप्पणियाँ:
- मातृत्व अवकाश कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है।
- भारतीय समाज में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी मुख्यतः महिलाओं पर होती है, ऐसे में यह अवकाश आवश्यक है।
- भारत में महिलाएं पुरुषों की तुलना में 577% अधिक अवैतनिक कार्य करती हैं।
फैसले का असर:
यह निर्णय सभी सरकारी व निजी संस्थानों के लिए एक सख्त संदेश है कि महिला कर्मचारियों को उनके मातृत्व अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। यह कार्यस्थल पर लैंगिक समानता की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
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🗣️ महत्वपूर्ण संदेश:
कामकाजी महिलाओं के लिए यह निर्णय न केवल एक राहत है, बल्कि यह भविष्य में ऐसे सभी मामलों में एक मिसाल कायम करेगा।