छत्तीसगढ़ में नैनो डीएपी की एंट्री, किसानों को मिलेगा ज्यादा उत्पादन का फायदा
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को रासायनिक उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। खरीफ 2025 के दौरान डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की संभावित कमी को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने इसके व्यवहारिक विकल्प के रूप में नैनो डीएपी के भंडारण एवं वितरण की विशेष व्यवस्था की है। साथ ही एनपीके और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का भी पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित किया गया है।
नैनो डीएपी क्या है?
नैनो डीएपी एक उन्नत, तरल और किफायती उर्वरक है, जो पारंपरिक डीएपी की तुलना में अधिक प्रभावशाली और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के वैज्ञानिकों का कहना है कि नैनो डीएपी के उपयोग से खेती की लागत कम होती है और उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है। यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।
लागत में कैसे आएगी कमी?
परंपरागत रूप से एक एकड़ धान की फसल के लिए 25 किलो डीएपी की लागत लगभग ₹1350 होती है। वहीं, नैनो डीएपी (500 मि.ली.) के उपयोग से यह लागत घटकर ₹1275 रह जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, धान की बुआई से पहले बीज उपचार, रोपाई और फसल के 30 दिन बाद छिड़काव के माध्यम से नैनो डीएपी का उपयोग प्रभावी होता है।
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राज्य सरकार की पहल
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर कृषि विभाग द्वारा नैनो डीएपी के भंडारण के साथ ही किसानों को इसके उपयोग के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं। विभाग ने किसानों से नैनो डीएपी, एनपीके, एसएसपी जैसे विकल्पों को अपनाने की अपील की है।
नैनो डीएपी पारंपरिक डीएपी का एक स्मार्ट और टिकाऊ विकल्प बनकर उभरा है। इसकी कम लागत, बेहतर पोषण दक्षता और पर्यावरणीय सुरक्षा इसे भविष्य के कृषि समाधान के रूप में स्थापित करती है।