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मुर्सी जनजाति: जहां लड़कियों के होंठ काटना है परंपरा

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दुनिया की सबसे खतरनाक जनजाति: मुर्सी जनजाति की खौफनाक परंपराएं और रीति-रिवाज

मुर्सी जनजाति: जहां लड़कियों के होंठ काटना है परंपरा

दुनिया भर में कई ऐसी जनजातियां हैं जिनकी परंपराएं और रीति-रिवाज इतने अजीब और खौफनाक हैं कि उनके बारे में सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही जनजाति के बारे में बताएंगे, जो अपनी क्रूरता, खतरनाक परंपराओं और विचित्र रीति-रिवाजों के लिए जानी जाती है। यह जनजाति इथियोपिया के दक्षिणी हिस्से में और सूडान की सीमा के पास स्थित ओमान घाटी में निवास करती है। इस जनजाति को ‘मुर्सी जनजाति’ कहा जाता है।

मुर्सी जनजाति: मौत को प्राथमिकता देने वाली संस्कृति

मुर्सी जनजाति के लोगों का मानना है कि जीवन को बिना किसी हत्या के जीने से अच्छा है मर जाना। इस जनजाति के लोगों को हत्या करना और खून बहाना बेहद पसंद है। यही वजह है कि इन्हें दुनिया की सबसे खतरनाक जनजातियों में से एक माना जाता है। इस जनजाति की कुल जनसंख्या लगभग 10,000 के आसपास है और यह ओमान घाटी के आसपास के इलाकों में बसी हुई है।

लड़कियों के होंठ काटने की खौफनाक प्रथा

दुनिया की सबसे खतरनाक जनजाति: मुर्सी जनजाति की खौफनाक परंपराएं और रीति-रिवाज

मुर्सी जनजाति की सबसे चौंकाने वाली परंपरा यह है कि जब इस जनजाति की लड़कियां 15-16 साल की उम्र तक पहुंचती हैं, तो उनके निचले होंठ काट दिए जाते हैं। इसके बाद उनके कटे हुए होंठ में मिट्टी से बनी या लकड़ी की गोल डिस्क डाल दी जाती है।

इस प्रथा के पीछे मान्यता यह है कि ऐसा करने से लड़कियां बुरी नजर से बच जाती हैं। वहीं, कुछ बुजुर्गों का कहना है कि यह प्रथा गुलामी के दौर में शुरू हुई थी। तब यह माना जाता था कि होंठ काटने और उसमें डिस्क लगाने से लड़कियों की सुंदरता कम हो जाती है और गुलाम व्यापारियों की नजर उन पर नहीं पड़ती। हालांकि, यह प्रथा अब केवल अफ्रीका की कुछ गिनी-चुनी जनजातियों, जैसे मुर्सी, चाई और तिरमा जनजातियों में ही देखने को मिलती है।

शादी से जुड़ी खतरनाक परंपरा

दुनिया की सबसे खतरनाक जनजाति: मुर्सी जनजाति की खौफनाक परंपराएं और रीति-रिवाज

मुर्सी जनजाति में शादी के लिए भी एक अजीब और खतरनाक परंपरा का पालन किया जाता है। यहां पुरुषों को अपनी पसंद की महिला को पाने के लिए लाठी से लड़ाई करनी पड़ती है। इस लड़ाई में पुरुषों को कई बार गंभीर चोटें लगती हैं, लेकिन लड़ाई तब तक जारी रहती है जब तक कि एक व्यक्ति हार न मान ले।
लाठी की इस लड़ाई को जीतने वाले पुरुष को सबसे खूबसूरत महिला से शादी करने का मौका मिलता है।

जानवरों का खून पीने की परंपरा

मुर्सी जनजाति के लोग लड़ाई के दौरान ताकतवर बनने और सम्मान पाने के लिए जानवरों का खून पीते हैं। उनका मानना है कि खून पीने से शरीर मजबूत होता है और मोटापा बढ़ता है, जो उनकी संस्कृति में ताकत और प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

हिंसा और क्रूरता का जीवन

मुर्सी जनजाति में हिंसा और क्रूरता का स्तर इतना अधिक है कि यहां अक्सर अधिकारों को लेकर झगड़े होते हैं। दो लोग किसी भी विवाद को सुलझाने के लिए एक-दूसरे से तब तक लड़ते हैं, जब तक उनमें से एक की मौत न हो जाए। इस जनजाति में मौत और खून-खराबा एक आम बात है।

आधुनिक दुनिया से कटे हुए

मुर्सी जनजाति आधुनिक सभ्यता से बिल्कुल कटे हुए हैं और अपनी पारंपरिक जीवनशैली पर ही निर्भर हैं। उनके रीति-रिवाज आज भी पुराने समय की क्रूर प्रथाओं का अनुसरण करते हैं।

मुर्सी जनजाति की यह परंपराएं न केवल अजीब हैं, बल्कि यह मानवता और सभ्यता के लिए एक चुनौती भी पेश करती हैं। हालांकि, उनके इन रीति-रिवाजों के पीछे उनके ऐतिहासिक और सामाजिक कारण हो सकते हैं, लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण से यह प्रथाएं खौफनाक और अमानवीय लगती हैं।

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