Naxal Encounter Update:: बस्तर में माओवादियों की कमर टूटी! 19 महीनों में 425 नक्सली मारे गए
बीजापुर| बस्तर के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच एक बार फिर मुठभेड़ हुई, जिसमें जवानों को बड़ी कामयाबी मिली है। शनिवार को हुई इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो महिला नक्सलियों समेत कुल चार माओवादियों को ढेर कर दिया। मारे गए सभी नक्सली दक्षिण सब जोनल ब्यूरो के सक्रिय सदस्य थे और उन पर कुल 17 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
कैसे हुआ मुठभेड़?
बीजापुर पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र यादव ने बताया कि बासागुड़ा और गंगालूर थाना क्षेत्र की सीमा पर माओवादियों की मौजूदगी की सूचना पर डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) की टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया। 26 जुलाई की शाम शुरू हुई मुठभेड़ रुक-रुक कर देर शाम तक चलती रही। मुठभेड़ खत्म होने के बाद इलाके की तलाशी में चार माओवादियों के शव बरामद हुए।
मारे गए माओवादियों की पहचान
बीजापुर पुलिस द्वारा प्रारंभिक पहचान में मारे गए माओवादियों के नाम और पद इस प्रकार हैं:
- हुंगा (ACM, प्लाटून-10, DSZB) – ₹5 लाख का इनामी
- लक्खे (ACM, प्लाटून-30, DSZB) – ₹5 लाख का इनामी
- भीमे (ACM, DSZB) – ₹5 लाख का इनामी
- निहाल उर्फ राहुल (पार्टी सदस्य) – ₹2 लाख का इनामी, ब्यूरो कम्युनिकेशन टीम हेड का गार्ड
भारी मात्रा में हथियार बरामद
मुठभेड़ स्थल की तलाशी में सुरक्षाबलों को बड़ी संख्या में हथियार और नक्सली सामग्री मिली। इनमें शामिल हैं:
- 1 SLR राइफल, 3 मैग्जीन, 15 जिंदा राउंड
- 1 INSAS राइफल, 3 मैग्जीन, 40 जिंदा राउंड
- 1 .303 रायफल, 1 मैग्जीन, 16 राउंड
- 1 BGL लांचर (सुरखा), 3 नग सेल
- 1 सिंगल शॉट 315 बोर रायफल
- 1 12 बोर बंदूक, 12 जिंदा सेल
- AK-47 के 8 जिंदा राउंड
- 1 ग्रेनेड, नक्सली साहित्य और दैनिक उपयोग की सामग्री
19 महीनों में 425 हार्डकोर नक्सली ढेर
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि जनवरी 2024 से जुलाई 2025 के बीच सुरक्षाबलों ने कुल 425 हार्डकोर माओवादियों को मुठभेड़ों में ढेर किया है। उन्होंने कहा कि यह संख्या सुरक्षा बलों की प्रभावी रणनीति, जनसमर्थन और साहसिक कार्रवाइयों का प्रमाण है। मानसून की कठिन परिस्थितियों में भी जवानों ने अपना उत्साह और समर्पण बनाए रखा है।
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बीजापुर मुठभेड़ में मिली इस बड़ी सफलता से यह स्पष्ट है कि माओवाद के खिलाफ चल रही रणनीति अब निर्णायक मोड़ पर है। लगातार ऑपरेशनों से नक्सली संगठन बैकफुट पर हैं और सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बस्तर धीरे-धीरे लाल आतंक से मुक्त हो रहा है।