महुआ, रागी, कोदो, कुटकी से बनी मिठास अब पहुंचेगी दुनिया भर में, जशप्योर ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को मिला
जशपुर (छत्तीसगढ़) – छत्तीसगढ़ सरकार ने महिला सशक्तिकरण और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित ‘जशप्योर’ ब्रांड का ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को हस्तांतरित करने का फैसला किया है। यह निर्णय ब्रांड को संस्थागत समर्थन देने, व्यापक स्तर पर उत्पादन करने और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बाज़ार तक पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या है जशप्योर?
जशप्योर एक महिला-केंद्रित उद्यम है, जिसे जशपुर जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें प्राकृतिक वनोपज जैसे महुआ, रागी, कोदो, कुटकी आदि से पोषणयुक्त, रसायनमुक्त खाद्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं। ब्रांड का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और परंपरागत ज्ञान को व्यावसायिक अवसरों में बदलना है।
पूरी तरह से प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद
जशप्योर के उत्पादों में कोई प्रिज़र्वेटिव, रंग या कृत्रिम स्वाद नहीं होता। ये उत्पाद सस्टेनेबल पैकेजिंग के साथ तैयार किए जाते हैं, जिनमें महुआ नेक्टर, रागी महुआ लड्डू, महुआ कुकीज़, महुआ कोकोआ ड्रिंक, कोदो-कुटकी आधारित पास्ता और ढेकी कूटा चावल जैसे आइटम शामिल हैं।
वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में मिली पहचान
20 सितंबर 2024 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया में जशप्योर स्टॉल को भारी सराहना मिली। पोषण विशेषज्ञों और उपभोक्ताओं ने ब्रांड के उत्पादों को पूरी तरह प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक बताया।
राष्ट्रीय और वैश्विक बाज़ार की ओर कदम
जशप्योर अब रेयर प्लेनेट के साथ साझेदारी में देश के प्रमुख एयरपोर्ट स्टोर्स तक पहुँच बना रहा है। पहले चरण में पाँच हवाई अड्डों पर जशप्योर उत्पादों की बिक्री शुरू होगी। इससे ब्रांड को ‘लोकल टू ग्लोबल’ की दिशा में गति मिलेगी।
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महिला सशक्तिकरण की मिसाल
जशप्योर में 90% से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, जो उत्पादन से लेकर पैकेजिंग तक की ज़िम्मेदारी निभा रही हैं। यह न केवल उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत कर रहा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रहा है।
जशपुर के युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन ने बताया कि “महुआ अब केवल शराब का स्रोत नहीं, बल्कि ग्रीन गोल्ड के रूप में देखा जा रहा है।” ट्रेडमार्क हस्तांतरण का यह फैसला निश्चित रूप से प्रदेश के अन्य वनोपज उत्पादकों को भी प्रोत्साहन देगा।