महाशिवरात्रि विशेष: छत्तीसगढ़ में स्थित अनोखा प्राकृतिक शिवलिंग, जो हर साल बढ़ रहा है
गरियाबंद, छत्तीसगढ़ – महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिवभक्तों की आस्था चरम पर है। देशभर के शिवालयों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है, और छत्तीसगढ़ का भूतेश्वरनाथ महादेव मंदिर भी इससे अछूता नहीं है। यह मंदिर अपनी विशेषता के कारण श्रद्धालुओं और वैज्ञानिकों दोनों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।
प्राकृतिक शिवलिंग का चमत्कार या विज्ञान?
इस मंदिर में स्थित प्राकृतिक शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है, और इसकी अद्भुत विशेषता यह है कि इसका आकार हर वर्ष 6 से 8 इंच बढ़ता है। वैज्ञानिक इसे अब तक पूर्ण रूप से समझ नहीं पाए हैं, लेकिन भक्तों की आस्था अटूट है कि यह स्वयं भगवान शिव का प्रत्यक्ष चमत्कार है। वर्तमान में शिवलिंग की ऊंचाई 18 फीट और गोलाई 20 फीट है, जो हर साल थोड़ा और बड़ा हो जाता है।
‘भकुर्रा महादेव’ नाम की ऐतिहासिक कहानी
स्थानीय भाषा में “भकुर्रा” का अर्थ है “हुंकार” या “गर्जना”। मान्यता है कि पुराने समय में यहां बैल और शेर की आवाजें सुनाई देती थीं, जिससे यह स्थान और भी रहस्यमय बन गया। इस कारण इस मंदिर को भकुर्रा महादेव भी कहा जाता है।
अर्धनारीश्वर स्वरूप में होती है पूजा
यहां के शिवलिंग में एक हल्की सी दरार है, जिसके कारण इसे अर्धनारीश्वर स्वरूप में पूजा जाता है। शिवलिंग के पीछे एक विशेष प्रतिमा भी स्थित है, जिसमें भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी विराजमान हैं।
शिवलिंग की उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा
कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व पारागांव के एक जमींदार शोभा सिंह जब अपने खेत में जाते थे, तो उन्हें अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती थीं। ग्रामीणों ने भी यह अनुभव किया, लेकिन आसपास कोई पशु नहीं था। धीरे-धीरे लोगों ने इस टीले को शिवलिंग के रूप में पूजना शुरू कर दिया और तब से यह स्थान एक महत्वपूर्ण तीर्थ बन गया।
आस्था और रहस्य का संगम
भूतेश्वरनाथ महादेव मंदिर आस्था और विज्ञान का संगम है। जहां श्रद्धालुओं के लिए यह भगवान शिव का चमत्कार है, वहीं वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय। चाहे जो भी हो, महाशिवरात्रि के अवसर पर यह स्थान भक्तों से भरा रहता है, और हर साल इसका बढ़ता आकार इसे और भी अनूठा बना देता है।