अगर भूल गए है आप भी उस कोलकाता रेप पीड़िता अभया को तो एक बार फिरसे जान लें की कितनी दर्दनाक रात थी वो!

- कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई युवा डॉक्टर को मीडिया और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने ‘अभया’ नाम दिया है। इस घटना ने पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रति गहरी चिंताओं को जन्म दिया है
- आरजी कर अस्पताल में ‘पीड़िता’ की प्रतिमा ने सोशल मीडिया पर मचाया बवाल
कोलकाता में चिकित्सा पेशेवरों के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से एक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया है। यह विरोध इस महीने की शुरुआत में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार की घटना के खिलाफ है। उनकी लाश को कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में पाया गया था, जिसके बाद पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुद्दे को लेकर रोष बढ़ गया है।
चिकित्सकों ने दोबारा हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने अस्पतालों में सुरक्षा सुधारने के वादे को पूरा नहीं किया है।
डॉक्टरों के इस कदम के साथ ही हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, कुछ लोगों ने कहा कि वे तब तक शांत नहीं होंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता। डॉक्टरों के संगठनों ने आगामी दिनों में और अधिक प्रदर्शनों का आह्वान किया है, खासकर दुर्गा पूजा जैसे प्रमुख त्योहार के दौरान, जिसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजने का प्रयास किया जाएगा।
इसके अलावा, पूर्व कोलकाता पुलिस आयुक्त पर पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोपों के खिलाफ एक याचिका को कोलकाता उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। यह याचिका Anita Pandey नाम की एक कानूनी पेशेवर द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में पूर्व पुलिस आयुक्त के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्थापित ‘पीड़िता’ की प्रतिमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस प्रतिमा में एक महिला को रोते हुए दर्शाया गया है और इसे अस्पताल के प्रिंसिपल कार्यालय के पास रखा गया है। हालांकि, इस प्रतिमा की स्थापना के बाद से सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ गई है। ट्रेनी डॉक्टरों द्वारा स्थापित इस प्रतिमा को कई लोगों ने ‘असंवेदनशील’ करार दिया है।
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। एक यूजर ने ट्वीट किया, “अगर आपको पीड़िता की प्रतिमा स्थापित करनी है तो इसे उसके दुख भरे चेहरे या किसी और चीज के बिना करें। यह बेहद विचलित करने वाला है।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “यह कितनी असंवेदनशीलता है। किसी के दर्द को अमर बनाना। मैं उम्मीद करता हूं कि यह घिनौनी प्रतिमा नष्ट की जाए।”
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता कुणाल घोष ने भी प्रतिमा की आलोचना करते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है, जो पीड़िता के नाम और पहचान को उजागर करने पर रोक लगाते हैं। कुणाल घोष ने ट्वीट किया, “कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता, कला के नाम पर भी नहीं।” उनका कहना था कि इस प्रतिमा का उद्देश्य पीड़िता के दर्द को सार्वजनिक करना नहीं होना चाहिए था, और यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ जाता है।
हालांकि, आरजी कर अस्पताल के एक डॉक्टर ने इस विवाद का जवाब देते हुए कहा, “हमने कोई नियम नहीं तोड़ा है या अदालत के आदेश की अनदेखी नहीं की है। यह एक प्रतीकात्मक मूर्ति है। हम अधिकारियों को दिखाना चाहते हैं कि क्या हुआ और पीड़िता ने कितना दर्द झेला। हम न्याय के लिए लड़ते रहेंगे।”
इसके साथ ही, जूनियर डॉक्टरों ने भी मंगलवार से काम बंद कर दिया है। उनका आरोप है कि पश्चिम बंगाल सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके साथ किए गए वादों को पूरा नहीं किया है। जूनियर डॉक्टरों के इस प्रदर्शन का मुख्य कारण हाल ही में एक लेडी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना है, जिसने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था।
इस घटना के बाद डॉक्टरों ने कामकाज ठप कर दिया था और पूरे देश में डॉक्टरों द्वारा प्रदर्शन किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद ही डॉक्टरों ने काम शुरू किया था। लेकिन सरकार पर अपने वादों को पूरा न करने का आरोप लगाते हुए जूनियर डॉक्टरों ने फिर से काम बंद कर दिया है।
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