डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है और इससे कैसे बचें?
Cybercrime: डिजिटल अरेस्ट एक नई प्रकार की साइबर ठगी है, जिसमें जालसाज खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को धमकाते हैं और उनसे धन उगाही करते हैं।
डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?
- कॉल प्राप्त होना: पीड़ित को व्हाट्सएप या वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क किया जाता है, जिसमें कॉलर खुद को पुलिस, सीबीआई या ईडी अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करता है।
- आरोप लगाना: कॉलर पीड़ित पर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी या अन्य गंभीर अपराधों में शामिल होने का झूठा आरोप लगाता है, जिससे पीड़ित भयभीत हो जाता है।
- डिजिटल अरेस्ट की धमकी: कॉलर पीड़ित को बताता है कि वह ‘डिजिटल अरेस्ट’ में है, यानी उसे घर में ही कैद कर लिया गया है और किसी से संपर्क नहीं कर सकता।
- धन की मांग: आरोपों से बचने या मामला सुलझाने के लिए पीड़ित से जुर्माने या शुल्क के रूप में धनराशि मांगी जाती है, जिसे तुरंत ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है।
डिजिटल अरेस्ट से जुड़े कुछ मामले:
- मेरठ मामला: सिविल लाइंस क्षेत्र के एक बुजुर्ग को कॉल कर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और उनसे 1.73 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
- लखनऊ मामला: राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डेंटिस्ट डॉ. रूबी थॉमस को कॉल कर आधार कार्ड से जुड़ी धोखाधड़ी का आरोप लगाकर डिजिटल अरेस्ट किया गया और 90 हजार रुपये की ठगी की गई।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय:
- अनजान कॉल से सावधान रहें: अज्ञात नंबरों से आई व्हाट्सएप या वीडियो कॉल न उठाएं।
- व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी व्यक्तिगत या बैंक संबंधी जानकारी साझा न करें।
- धमकियों से न घबराएं: यदि कोई आपको डिजिटल अरेस्ट या कानूनी कार्रवाई की धमकी देता है, तो शांत रहें और सत्यापन करें।
- साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें: ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें।धनराशि ट्रांसफर न करें: बिना पूर्ण सत्यापन के किसी भी व्यक्ति को धनराशि ट्रांसफर न करें।
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साइबर अपराधियों की रणनीति
साइबर अपराधी सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों को निशाना बनाते हैं, जो अपनी व्यक्तिगत जानकारी अधिक साझा करते हैं। वे वरिष्ठ नागरिकों, डॉक्टरों और शिक्षाविदों को विशेष रूप से टारगेट करते हैं, जो कानून का सम्मान करते हैं और आसानी से भयभीत हो सकते हैं।
सरकारी एजेंसियों की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट स्कैम के प्रति जागरूक किया और इससे बचने के लिए ‘रुको, सोचो, एक्शन लो’ का मंत्र दिया।
डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर साइबर अपराध है, जिससे बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता आवश्यक है। अनजान कॉल्स से सावधान रहें, अपनी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।