खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स में शामिल हुआ बस्तर ओलंपिक, जानिए क्यों है ये खास!
रायपुर| बस्तर अंचल में खेलों के जरिए सामाजिक समरसता और विकास की नई इबारत लिखने वाले ‘बस्तर ओलंपिक’ को अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। केंद्र सरकार द्वारा इसे ‘खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स’ का दर्जा दिया गया है, जिससे यह आयोजन देशभर के आदिवासी खेल आयोजनों के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित हो गया है।
बस्तर ओलंपिक 2024: आदिवासी जड़ों से जुड़ा विराट आयोजन
2024 में आयोजित बस्तर ओलंपिक का आयोजन ब्लॉक, जिला और संभाग स्तर पर किया गया था। इसकी शुरुआत 7 नवंबर को ब्लॉक स्तर से हुई और समापन 15 दिसंबर को संभागीय स्तर पर भव्य समापन समारोह के साथ हुआ। इस आयोजन में बस्तर संभाग के सभी सात जिलों सहित 14 ज़िलों के हजारों प्रतिभागी शामिल हुए।
खेलों की विविधता और समावेशिता बनी विशेषता
बस्तर ओलंपिक में पारंपरिक खेलों के साथ-साथ आधुनिक प्रतिस्पर्धात्मक खेलों को भी सम्मिलित किया गया था। इनमें प्रमुख रूप से:
- एथलेटिक्स
- तीरंदाजी (Archery)
- बैडमिंटन
- फुटबॉल
- हॉकी
- वेटलिफ्टिंग
- कराटे
- कबड्डी
- खो-खो
- वॉलीबॉल
- रस्साकशी (Tug of War)
शामिल थे।
प्रत्येक वर्ग को मिला मंच
इस ओलंपिक में दो प्रमुख आयु वर्ग बनाए गए थे:
- जूनियर वर्ग (14 से 17 वर्ष)
- सीनियर वर्ग (17 वर्ष से ऊपर)
इन दोनों वर्गों में महिला और पुरुष दोनों प्रतिभागियों ने भाग लिया।
विशेष रूप से माओवादी प्रभावित क्षेत्रों के दिव्यांगों और आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए खेल प्रतियोगिताएं सीधे संभाग स्तर पर आयोजित की गईं। यह पहल समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुई।
‘खेलो इंडिया’ की मान्यता का महत्व
‘खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स’ का दर्जा मिलने के बाद अब बस्तर ओलंपिक को केंद्र सरकार की सहायता, बड़ी ब्रांडिंग, और राष्ट्रिय प्लेटफार्म पर प्रदर्शित होने का अवसर मिलेगा। इससे बस्तर अंचल की प्रतिभाओं को देश के सामने लाने का रास्ता और व्यापक होगा।
भूपेश बघेल और बेटे को सुप्रीम कोर्ट से झटका, याचिका खारिज – हाईकोर्ट जाने को कहा
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका
इस आयोजन में छत्तीसगढ़ सरकार, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका रही। विभिन्न खेल संघों और ग्रामीण खेल समितियों ने आयोजन की सफलता में योगदान दिया। आयोजन के दौरान खिलाड़ियों के ठहरने, भोजन, यात्रा और चिकित्सा की व्यवस्था अनुकरणीय रही।
बस्तर ओलंपिक: खेल के बहाने बदलाव की कहानी
बस्तर ओलंपिक न केवल एक खेल आयोजन है, बल्कि यह आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान, सशक्तिकरण, और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन चुका है। अब केंद्र की मान्यता से यह पहल देशभर में एक प्रेरणादायक उदाहरण के रूप में उभरेगी।