न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर महाभियोग की तैयारी, संसद के मानसून सत्र में पेश हो सकता है प्रस्ताव
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने के मामले में अब केंद्र सरकार उन्हें पद से हटाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार, संसद के आगामी मानसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
इससे पहले मार्च 2025 में न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास में आग लगने की घटना सामने आई थी, जिसके बाद वहां से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। इस घटना के बाद उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति गठित की थी। जांच समिति ने 55 गवाहों के बयान और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि यह नकदी न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के नियंत्रण में थी।
जांच के बाद, न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया, हालांकि उन्हें कोई न्यायिक कार्य सौंपा नहीं गया। मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर अब केंद्र सरकार उनके विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया में जुटी है।
प्रस्ताव के लिए संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—में अलग-अलग संख्या में सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी। लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होंगे।
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इस बीच कांग्रेस पार्टी ने संकेत दिया है कि वह इस प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है, लेकिन उसने शर्त रखी है कि सरकार को न्यायमूर्ति शेखर यादव के मामले में भी समान कार्रवाई करनी चाहिए, जिन पर कथित ‘हेट स्पीच’ के आरोप हैं। कांग्रेस ने अपने सांसदों से हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
यदि प्रस्ताव संसद में पेश होता है और पारित हो जाता है, तो यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा।
मुख्य बिंदु:
- आगजनी की घटना के बाद न्यायमूर्ति वर्मा के घर से नकदी बरामद।
- सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति ने रिपोर्ट में दोषी ठहराया।
- संसद के मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी।
- कांग्रेस समर्थन को तैयार, लेकिन न्यायिक निष्पक्षता की मांग के साथ।