छत्तीसगढ़ में भांग की खेती पर हाईकोर्ट का झटका, याचिका खारिज!
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में भांग की व्यावसायिक खेती को वैध करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि नीतिगत निर्णय लेना सरकार का कार्यक्षेत्र है, न कि न्यायालय का।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता एस.ए. काले ने भांग के औद्योगिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों का हवाला देते हुए इसे “गोल्डन प्लांट” करार दिया था और इसे किसानों के लिए लाभकारी बताते हुए इसकी व्यावसायिक खेती को अनुमति देने की मांग की थी।
भांग को बताया ‘नई पीढ़ी की सोने की खान’
याचिका में कहा गया था कि भांग में कई शोधों के अनुसार औषधीय और औद्योगिक उपयोग की अपार संभावनाएं हैं और इससे राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने फरवरी 2024 में इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
कोर्ट ने याचिका को बताया व्यक्तिगत हित से प्रेरित
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रुचि को जनहित के रूप में प्रस्तुत किया है। एनडीपीएस एक्ट के तहत भांग की खेती केवल कुछ विशिष्ट उद्देश्यों (जैसे चिकित्सा, वैज्ञानिक, औद्योगिक) और सरकारी अनुमति के तहत ही संभव है। ऐसे मामलों में न्यायालय सरकार को नीतिगत दिशा-निर्देश नहीं दे सकता।
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याचिका खारिज, सिक्योरिटी अमाउंट जब्त
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने उचित वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया है और यह याचिका न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह जनहित याचिका स्वीकार्य नहीं है। लिहाजा अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि जब्त करने का आदेश दिया।