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पूर्व मंत्री कवासी लखमा को 4 फरवरी तक जेल: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में सजा

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शराब घोटाले में कवासी लखमा की गिरफ्तारी: 2161 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का खुलासा

छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को शराब घोटाले में 14 दिनों की ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल भेजा गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 4 फरवरी 2025 तक जेल में रहने का आदेश दिया गया।

ईडी की जांच और गिरफ्तारी का कारण

ईडी ने कवासी लखमा को 15 जनवरी 2025 को पूछताछ के लिए बुलाया था। आरोप है कि उन्होंने अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के साथ आने से मना कर दिया। उनके द्वारा दी गई जानकारी से ईडी संतुष्ट नहीं हुई। इसके बाद, उन्हें 15 जनवरी से 21 जनवरी तक कस्टोडियल रिमांड पर रखा गया। ईडी के वकील सौरभ कुमार पांडेय ने बताया कि लखमा ने पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं किया और घुमावदार जवाब दिए।

शराब घोटाले की जड़ें

ईडी की जांच के अनुसार, यह घोटाला 2019-2022 के बीच हुआ, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार थी। इस दौरान नकली होलोग्राम के जरिए लाइसेंसी शराब दुकानों पर शराब बेची गई। उत्तर प्रदेश के नोएडा की एक कंपनी को नकली होलोग्राम बनाने का ठेका दिया गया था। इस कंपनी के मालिक विधु गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद कवासी लखमा, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी का नाम सामने आया।

ईडी के दावे और भ्रष्टाचार की राशि

ईडी का दावा है कि यह घोटाला करीब 2161 करोड़ रुपये का है। शराब घोटाले के कारण राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। हर महीने कवासी लखमा को शराब सिंडिकेट से दो करोड़ रुपये की अवैध कमाई होती थी। ईडी ने पाया कि 36 महीने में लखमा को 72 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।

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घोटाले में अन्य नाम और जांच की स्थिति

घोटाले में शामिल अन्य लोगों में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के नाम शामिल हैं। इनके माध्यम से अवैध सिंडिकेट संचालित किया गया।

कवासी लखमा का नाम कैसे जुड़ा?

ईडी ने 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा के घर पर छापा मारा और उनके बेटे हरीश लखमा से भी पूछताछ की। इसके बाद, 15 जनवरी 2025 को उन्हें गिरफ्तार किया गया।

ईडी की जांच जारी है और घोटाले में शामिल अन्य नामों को लेकर पूछताछ की जा रही है। कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद यह मामला और गंभीर हो गया है। 2161 करोड़ रुपये का यह घोटाला छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा रहा है।

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