सबसे कम उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने की सफलता की कहानी
भिलाई (छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ के बलौदा क्षेत्र के छोटे से गांव अवारी निवासी दिलीप उइके ने 21 वर्ष की उम्र में अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर सबसे कम उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने का कीर्तिमान स्थापित किया है। यह कहानी है उस युवा की, जिसने कॉलेज के अंतिम वर्ष में ही प्रशासनिक सेवा में प्रवेश लेकर एक मिसाल पेश की।
इस होनहार युवक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की, जहां बेहतर शैक्षणिक सुविधाएं नहीं थीं। बावजूद इसके, उसने अपनी पढ़ाई में कभी भी समझौता नहीं किया।
दिल्ली जाकर उन्होंने 21 साल की उम्र में यूपीएससी की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त की। यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ। सबसे खास बात यह है कि जब वे कॉलेज के फाइनल ईयर में थे, तब उनकी पोस्टिंग हो गई।
युवक ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुओं को दिया। उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन से दूरी बनाकर और अनुशासन को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर यह सफलता हासिल की। उनका मानना है कि अगर सच्ची लगन और मेहनत हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता।
आज यह युवा दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने संदेश दिया कि बड़े सपने देखने चाहिए और उन्हें हासिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।