Sanjay Bangar son: पूर्व भारतीय क्रिकेटर और मौजूदा दौर के मशहूर कोच संजय बांगड़ के बेटे आर्यन बांगड़ ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है, जिसने इंटरनेट पर काफी चर्चा बटोरी है। आर्यन ने हार्मोन रिप्लेसमेंट सर्जरी के जरिए अपने शरीर में परिवर्तन किया है और अब उनका नाम अनाया है। उन्होंने इस सर्जरी और अपने सफर को सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिससे लोगों को उनकी कहानी और संघर्ष के बारे में जानकारी मिली।
आर्यन ने अपनी पोस्ट में अपने 10 महीने के हार्मोनल ट्रांसफॉर्मेशन के सफर को साझा करते हुए लिखा कि बचपन से ही क्रिकेट उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा है। वे अपने पिता को भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व और कोचिंग करते देख बड़े हुए, जिससे उन्हें भी क्रिकेट के प्रति लगाव और जुनून मिला। उन्होंने लिखा, “क्रिकेट मेरा प्यार, मेरी महत्वाकांक्षा और भविष्य था, और मैंने अपने कौशल को निखारने में जीवन बिताया।”
हालांकि, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) के कारण उनके शरीर में कई परिवर्तन हुए हैं। आर्यन ने यह भी कहा कि इस बदलाव ने उन्हें उस खेल से दूर कर दिया जिसे वे बेहद पसंद करते थे। यह उनके लिए एक कठिन दौर रहा, क्योंकि ICC के नियमों के अनुसार ट्रांस एथलीट महिलाओं के संवग्नेशनल क्रिकेट में हिस्सा नहीं ले सकते। ऐसे में अनाया को क्रिकेट से दूर होना पड़ा है।
इस कहानी ने सोशल मीडिया पर बहुत समर्थन और संवेदनाएं जुटाई हैं। अनाया ने एक नई शुरुआत की है, और उनके इस साहसिक कदम ने कई लोगों को प्रेरित किया है।
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आर्यन से अनाया बनी संजय बांगड़ की बेटी ने अपने ट्रांसफॉर्मेशन सफर के बारे में जो बातें साझा कीं, उन्होंने न केवल खेल जगत बल्कि आम लोगों के बीच भी गहरी छाप छोड़ी है। अनाया ने बताया कि क्रिकेट से जुड़ी उनकी हर उपलब्धि उनके पिता के सहयोग और उनकी प्रेरणा से ही संभव हुई थी। पिता को देश के लिए खेलते और कोचिंग करते देख, उनके दिल में भी देश के लिए कुछ कर दिखाने की चाहत थी।
सर्जरी और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) के बाद, अनाया ने खुद को एक नई पहचान दी है। इस प्रक्रिया में उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने लिखा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे इस बदलाव का असर मेरी खेल ज़िन्दगी पर पड़ेगा। मुझे उस खेल को छोड़ना पड़ा जो मेरा सपना, मेरा जुनून और मेरी पहचान था। लेकिन मेरे लिए इस सच्चाई को स्वीकार करना बेहद कठिन था।”
अनाया का यह सफर LGBTQ+ समुदाय के लोगों को भी प्रेरित कर रहा है। उन्होंने अपने पोस्ट में अपने अनुभव को साझा कर इस बात पर जोर दिया कि अपने असली रूप को स्वीकार करना और अपनी पहचान को अपनाना कितना जरूरी है। उनका यह साहसिक कदम युवाओं को अपने सपनों और पहचान को पूरी ताकत से अपनाने की प्रेरणा दे रहा है।
हालांकि क्रिकेट से दूर होने का दुख उनके जीवन का हिस्सा बना रहेगा, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को छोड़ने के बजाय, एक नए सफर की ओर कदम बढ़ाने का फैसला किया है। अनाया ने यह भी कहा कि उनका इरादा खेल को छोड़ने का नहीं है, बल्कि वह इस बदलाव के साथ भी खुद को किसी न किसी रूप में खेल जगत से जोड़ने का रास्ता तलाशेंगी।
उनके इस फैसले पर उनके परिवार और दोस्तों ने समर्थन जताया है। सोशल मीडिया पर अनाया को मिले प्यार और समर्थन ने यह दिखाया है कि समाज में सकारात्मक बदलाव की लहर है, और लोग अब खुलकर हर व्यक्ति की असल पहचान का सम्मान कर रहे हैं।