बेमेतरा में इथेनॉल फैक्ट्री का विवाद: ग्रामीणों का विरोध और प्रशासन की चुनौती
बेमेतरा, छत्तीसगढ़: बेमेतरा जिले के पथर्रा गाँव में प्रस्तावित इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुँचे और इस फैक्ट्री के खिलाफ प्रदर्शन किया। फैक्ट्री को बंद करने की माँग करते हुए ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपा और इस परियोजना के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए।
ग्रामीणों का आरोप: अनियमितता और पर्यावरणीय खतरा
ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री निर्माण में अनियमितताएँ बरती जा रही हैं। उनका दावा है कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी से कई आपत्तिजनक तथ्य सामने आए हैं, जिनमें पर्यावरण को संभावित खतरा, जल संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव और कृषि भूमि पर असर जैसी चिंताएँ शामिल हैं। गाँव वालों का मानना है कि फैक्ट्री का निर्माण उनके स्वास्थ्य, पर्यावरण और आजीविका पर बुरा असर डाल सकता है। इसी कारण वे पिछले एक महीने से लगातार इस मुद्दे को उठाते आ रहे है।
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फैक्ट्री विरोध के बावजूद प्रशासन का रवैया उदासीन
ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले एक महीने से फैक्ट्री का विरोध करने के बावजूद प्रशासन उनकी चिंताओं को अनदेखा कर रहा है। गाँव वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से इस विषय में चर्चा करने की कोशिश की, लेकिन हर बार प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली। इस बीच, विधायक की अनुपस्थिति से भी ग्रामीण निराश हैं, जिन्हें उम्मीद थी कि वे उनकी समस्याओं पर ध्यान देंगे। इस मुद्दे पर प्रशासन की उदासीनता से आहत ग्रामीणों ने अब विरोध को और भी उग्र कर दिया है और रैली भी निकाली है।
पर्यावरणीय प्रभाव और स्वास्थ्य पर संभावित असर
इथेनॉल फैक्ट्री का निर्माण क्षेत्र के पर्यावरण और जल संसाधनों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इथेनॉल उत्पादन में भारी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है, जो स्थानीय जल स्रोतों पर दबाव डाल सकता है। इसके अलावा, फैक्ट्री से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ा सकते हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। ग्रामीणों को डर है कि अगर यह फैक्ट्री बन जाती है तो उनके खेत, पेयजल स्रोत, और संपूर्ण पर्यावरण प्रभावित हो सकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया: हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार
बेमेतरा कलेक्टर रणबीर शर्मा ने बताया कि प्रशासन उच्च न्यायालय के निर्देशों का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे ही दिशा-निर्देश मिलेंगे, उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने ग्रामीणों की शिकायतों पर गंभीरता से विचार करते हुए एक जांच समिति गठित की है, जो फैक्ट्री निर्माण की प्रक्रियाओं में किसी भी अनियमितता की जाँच करेगी। इसके बावजूद, ग्रामीणों को संदेह है कि उनकी बात को पूरी तरह से सुना जाएगा।
ग्रामीणों का संकल्प: फैक्ट्री का विरोध जारी रहेगा
बेमेतरा के ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन, पर्यावरण और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उनका संकल्प है कि जब तक फैक्ट्री का निर्माण पूरी तरह से नहीं रुकता, वे अपने विरोध प्रदर्शन को जारी रखेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने उनकी आवाज नहीं सुनी, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ने की योजना बना रहे हैं।
इस पूरे विवाद ने क्षेत्र में एक गंभीर मुद्दा खड़ा कर दिया है, जहाँ प्रशासन और ग्रामीणों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। हाईकोर्ट के निर्देशों का इंतजार कर रहा प्रशासन और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीण, दोनों ही इस मुद्दे पर आगे की स्थिति का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।