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खालसा स्कूल कांड: “मैम, क्या कहा?” पूछने पर 4 थप्पड़ – सुनने की शक्ति खो बैठा मासूम!

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खालसा स्कूल कांड: “मैम, क्या कहा?” पूछने पर 4 थप्पड़ – सुनने की शक्ति खो बैठा मासूम!

डोंगरगढ़| छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित खालसा पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले 13 वर्षीय सार्थक सहारे की दुनिया पलट गई, जब उसकी SST की शिक्षिका प्रियंका सिंह ने क्लास में करीब 4 थप्पड़ मारे। छात्र ने क्लास में किताब निकालने में देरी पर “मैम, क्या कहा?” दोबारा पूछा, तो शिक्षिका भड़क गईं और उसने उसे थप्पड़ थप्पड़ाए। एक जोरदार थप्पड़ से बच्चे की सुनने की क्षमता तक प्रभावित हो गई ।

इस दुखद घटना के बाद परिवार ने तुरंत उसे डोंगरगढ़ अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन सुधार नहीं हुआ। फिर राजनांदगांव जिला अस्पताल और अंततः रायपुर के एक निजी अस्पताल में जिम्मेदार इलाज की प्रक्रिया शुरू की गई। अस्पताल रिपोर्ट्स में बताया गया कि बच्चे का दाहिना कान लगभग 70% और बायां 80% तक क्षतिग्रस्त हो गया है। इलाज लंबा चलेगा और बच्चे को अक्सर रायपुर जाना पड़ रहा है।

स्कूल प्रबंधन की प्रतिक्रिया और जांच की दिशा
परिवार के आश्वासन के बावजूद स्कूल प्रबंधन ने केवल शोक-कारण नोटिस जारी किया और कोई स्पष्ट सम्मान या मुआवजा नहीं दिया। इसके खिलाफ, परिवार ने तहसील स्तर के शिक्षा अधिकारी (BEO) से लिखित शिकायत दर्ज कराई है। BEO बीरेंद्र कौर गरछा ने कहा कि जांच कमेटी गठित की गई है और 48 घंटे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

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समुदाय की चिंता और सवाल
मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:

  • क्या शिक्षा संस्थान में बच्चों की सुरक्षा को फिर से प्राथमिकता दी जाएगी?
  • क्या ‘गिनती के थप्पड़ों’ को नेतृत्व माना जाएगा?
  • अभिभावकों को स्कूल भेजना है या अस्पताल के चक्कर लगाने हैं?

छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में यह घटना एक चेतावनी बनकर उभरी है – शिक्षा और संरक्षण का दायित्व केवल कागजों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों को हर हाल में सुरक्षित रखना चाहिए।

 

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