यीशु मसीह का असली नाम और जन्मतिथि: ऐतिहासिक रहस्य का खुलासा
बहुत से लोग मानते हैं कि यीशु मसीह का असली नाम ‘Jesus Christ’ था, लेकिन हाल ही में हुए शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि उनका वास्तविक नाम ‘Yeshu Narazene’ था। साथ ही, 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन होने की धारणा भी ऐतिहासिक रूप से सटीक नहीं है, बल्कि यह तिथि चौथी सदी में चुनी गई थी।
यीशु का वास्तविक नाम क्या था?
इतिहासकारों और भाषा विशेषज्ञों के अनुसार, यीशु का असली नाम ‘Yeshu’ या ‘Yeshua’ था, जो उस समय यहूदिया और गलील में प्रचलित नामों में से एक था। उन्हें ‘Yeshu Narazene’ कहा जाता था, जिसका अर्थ है “नासरत का यीशु”। बाइबल में भी यीशु को ‘Jesus of Nazareth’ या ‘Jesus the Nazarene’ के रूप में संदर्भित किया गया है, जो उस समय की परंपरा के अनुसार उनकी पहचान को दर्शाता है।
‘Jesus’ नाम कैसे पड़ा?
प्राचीन अरामी भाषा में ‘J’ ध्वनि का प्रयोग नहीं होता था। जब यीशु के नाम का अरामी से ग्रीक में अनुवाद किया गया, तो इसे ‘Iesous’ लिखा गया। बाद में, रोमन प्रभाव के कारण लैटिन में इसे ‘Iesus’ कहा गया। 17वीं सदी में अंग्रेजी भाषा में ‘J’ अक्षर के आगमन के बाद ‘Iesus’ का उच्चारण ‘Jesus’ में बदल गया।
‘Christ’ का अर्थ
बहुत से लोग ‘Christ’ को यीशु का उपनाम मानते हैं, जबकि यह एक उपाधि है, जिसका अर्थ है “भगवान का अभिषिक्त व्यक्ति”। यह उपाधि यूनानी शब्द ‘Christos’ से ली गई है, जिसका अर्थ होता है ‘मसीहा’।
जन्मतिथि को लेकर भ्रम
इतिहासकारों के अनुसार, यीशु का जन्म 25 दिसंबर को नहीं हुआ था। चौथी सदी में पोप जूलियस I ने इस तिथि को उनके जन्मदिवस के रूप में चुना ताकि इसे रोमन पगान त्योहार ‘सैटर्नालिया’ के साथ जोड़ा जा सके।
नए शोध का महत्व
इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि समय और भाषाई परिवर्तनों के कारण न केवल यीशु मसीह का नाम बदला, बल्कि उनके जीवन से संबंधित कई ऐतिहासिक तथ्यों को भी नई व्याख्याएं दी गईं। यह अध्ययन हमें यह सोचने पर विवश करता है कि धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं समय के साथ कैसे विकसित होती हैं।