छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान में पंचदश दिवसीय संस्कृत महोत्सव का शुभारंभ — श्रावण पूर्णिमा तक होंगे विविध कार्यक्रम
- संस्कृत महोत्सव में आयुर्वेद और विज्ञान का मिलन
- देशभर से जुड़ेंगे विद्वान
- नई पीढ़ी से पुरातन परंपरा तक संवाद का सेतु
रायपुर। छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा आयोजित पंचदश दिवसीय “संस्कृत महोत्सव” का शुभारंभ हो चुका है। श्रावण शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ यह महोत्सव श्रावण पूर्णिमा तक विविध सांस्कृतिक, शैक्षणिक और व्याख्यानमालाओं के माध्यम से संपन्न होगा। इस महोत्सव का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में संस्कृत शिक्षा और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है।
कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा में रोजगार की संभावनाओं पर विद्वानों द्वारा संवाद एवं परामर्श सत्र आयोजित किए गए। साथ ही, शिक्षकों के लिए संवाद एवं संभाषण सत्र का आयोजन भी हुआ।
विशेष व्याख्यानों की श्रृंखला में:
- प्रो. माण्डवी सिंह, कुलपति, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा “नाट्यशास्त्र में सांस्कृतिक दृष्टि” विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया गया।
- तुलसी जयंती के पावन अवसर पर प्रो. राजन यादव, विभागाध्यक्ष (हिंदी), इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ द्वारा “गोस्वामी तुलसीदास जी का संस्कृत में योगदान” विषय पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।
इस महोत्सव में देशभर से विद्वानों, विद्यार्थियों एवं नागरिकों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिल रही है। आगामी दिनों में भी कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तावित हैं, जिनमें शामिल हैं:
- श्रीमद्भगवद्गीता प्रश्नमंच प्रतियोगिता (छात्रों हेतु)
- संस्कृत में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आयुर्वेद चिकित्सा पर विशेषज्ञों के व्याख्यान (वाराणसी एवं नई दिल्ली से आमंत्रित विद्वानों द्वारा)
- संस्कृत शिक्षकों का प्रशिक्षण सत्र
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संस्थान के संयोजक एवं सचिव डॉ. मनीष शर्मा तथा संगठन सचिव श्री मुकेश चौबे महोत्सव का समर्पित रूप से संचालन कर रहे हैं। कार्यक्रम में प्रतिदिन प्रदेश के वरिष्ठ विद्वानों — प्रो. महेश चंद्र शर्मा, डॉ. पूर्णिमा केलकर, श्रीमती ऊर्मिला देवी, श्रीमती निर्मला पांडेय, श्री हेमंत शर्मा, प्रो. तोयनिधि वैष्णव, श्रीमती निशा चंद्रा, श्री हेमंत चौबे, श्री दिव्येश्वर शास्त्री, श्री संजय गुप्ता, श्री गणेशराम सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी नियमित रूप से सहभागिता कर रहे हैं।
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यह महोत्सव ऑनलाइन माध्यम से संचालित किया जा रहा है, ताकि देशभर के अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें और संस्कृत एवं भारतीय परंपरा के इस गौरवशाली उत्सव के सहभागी बन सकें।
संस्कृत महोत्सव का समापन समारोह श्रावण पूर्णिमा को विशेष आयोजन के साथ संपन्न होगा, जिसमें विशिष्ट अतिथियों, विद्वानों और नागरिकों की उपस्थिति रहेगी।