छत्तीसगढ़: ननों की गिरफ्तारी मामले में नया मोड़, NIA कोर्ट से जमानत मिली, पीड़िता बोली- ‘पीट-पीटकर जबरन बयान दिलवाया’
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नन गिरफ्तारी केस में नया मोड़ आया है। 9 दिनों से जेल में बंद केरल की दोनों कैथोलिक ननों – प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस – को बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट से 50-50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत मिल गई है। इससे पहले दुर्ग कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। मामला संसद तक पहुंचा, केरल से सांसदों का प्रतिनिधिमंडल छत्तीसगढ़ आया और ईसाई संगठनों ने देशभर में प्रदर्शन किए।
क्या है मामला?
25 जुलाई 2025 की सुबह 8:30 बजे दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तीन आदिवासी युवतियों, एक युवक और दो मिशनरी ननों को रोका। आरोप था कि नन युवतियों को नौकरी का झांसा देकर आगरा ले जा रही थीं। हंगामे के बाद GRP ने मानव तस्करी और धर्मांतरण की धाराओं में FIR दर्ज कर ननों को गिरफ्तार किया।
संसद से सड़क तक छाया मामला
- संसद में उठा मुद्दा: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने गिरफ्तारी को “धार्मिक असहिष्णुता” करार दिया। केरल से सांसदों का दल दुर्ग जेल पहुंचा।
- केरल के मुख्यमंत्री की अपील: मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने भी केस को “झूठा” बताया और रद्द करने की मांग की।
- देशभर में प्रदर्शन: कोच्चि, एर्नाकुलम, रायपुर, जगदलपुर, रायगढ़ समेत कई जगहों पर ईसाई समुदाय ने विरोध-प्रदर्शन किया।
पीड़िता का पलट बयान
नारायणपुर की पीड़िता कमलेश्वरी ने 1 अगस्त को मीडिया के सामने आकर कहा कि “हम ननों के साथ अपनी मर्जी से जा रहे थे, किसी ने अपहरण नहीं किया। दुर्ग में हमसे मारपीट की गई और बयान बदलवाया गया। हमारा पूरा परिवार वर्षों से ईसाई धर्म मानता है।”
कोर्ट में क्या हुआ?
बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। ननों के वकीलों ने कहा कि पुलिस के पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने जमानत मंजूर कर फैसला सुनाया।
क्या कहते हैं कानून?
- मानव तस्करी कानून: गैर-जमानती अपराध, दोषी पाए जाने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा।
- धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968: बिना अनुमति धर्मांतरण कराना अपराध है।
आगे क्या?
मामले की जांच अब NIA के दायरे में है। ननों की रिहाई के बाद इस केस पर राजनीतिक और सामाजिक बहस और तेज होने की संभावना है। वहीं पीड़िता के पलट बयान से केस की दिशा बदल सकती है।