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CG News: गला दबाना और शरीर पर कुल 35 ताजा चोटों के निशान! जेल में प्रताड़ना से आदिवासी युवक की मौत, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब

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CG News: गला दबाना और शरीर पर कुल 35 ताजा चोटों के निशान! जेल में प्रताड़ना से आदिवासी युवक की मौत, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब

महासमुंद।
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला जेल में 29 वर्षीय आदिवासी युवक नीरज भोई की संदिग्ध मौत के मामले में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। हिरासत में हत्या मानते हुए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य शासन से दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

यह मामला 15 अगस्त 2024 का है, जब नीरज भोई की जिला जेल में मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण गला दबाना और शरीर पर गंभीर चोटों को बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, नीरज के शरीर पर कुल 35 ताजा चोटों के निशान थे, जिनमें से 8 अंदरूनी थीं और जानलेवा साबित हुईं।

गिरफ्तारी के तीन दिन बाद हुई मौत

ग्राम पिपरौद निवासी नीरज भोई को 12 अगस्त 2024 को गिरफ्तार कर शाम 5 बजे महासमुंद जिला जेल भेजा गया था। जेल में प्रारंभिक मेडिकल जांच के दौरान उसे डिप्रेशन और क्रोनिक एल्कोहलिक बताया गया। रिपोर्ट के अनुसार, अगले ही दिन से उसका व्यवहार असामान्य हो गया था—वह अन्य कैदियों को दांत से काटने और उन पर थूकने लगा।

हालत बिगड़ने पर उसे जेल अस्पताल में दवाइयां दी गईं, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। 15 अगस्त की सुबह जब स्थिति अधिक गंभीर हुई तो उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

जेल में यातना की पुष्टि

परिजनों की शिकायत पर मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराई गई, जो 31 जनवरी 2025 को पूरी हुई। जांच में यह सामने आया कि नीरज की मौत जेल में की गई मारपीट और गला दबाने से हुई। सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह था कि उसे मानसिक स्वास्थ्य समस्या के नाम पर 13 और 14 अगस्त की रात लोहे के गेट से बांधकर खुले में रखा गया और इलाज के बजाय उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

गिरफ्तारी के समय की मेडिकल रिपोर्ट में युवक के शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जेल में उसे प्रताड़ना दी गई थी।

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हाईकोर्ट का सख्त रुख

इस पूरे मामले को लेकर परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे हिरासत में हुई हत्या माना और छत्तीसगढ़ शासन से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब मांगा है।

यह मामला राज्य की जेल व्यवस्था और मानवाधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।

 

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