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Bilaspur Namaz Controversy: जीजीयू एनएसएस कैंप में हिंदू छात्रों से जबरन पढ़वाया गया नमाज, छह प्रभारी और कोऑर्डिनेटर पर FIR, सिर्फ एक पर कार्रवाई

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Bilaspur Namaz Controversy: जीजीयू एनएसएस कैंप में हिंदू छात्रों से जबरन पढ़वाया गया नमाज, छह प्रभारी और कोऑर्डिनेटर पर FIR, सिर्फ एक पर कार्रवाई

बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (जीजीयू), बिलासपुर के एनएसएस शिविर में हिंदू छात्रों से जबरन नमाज पढ़वाने का मामला अब भी अधर में है। ईद के दिन, 31 मार्च को शिवतराई गांव में आयोजित एनएसएस कैंप में यह विवादास्पद घटना सामने आई थी, जिसकी शिकायत 16 अप्रैल को छात्रों ने कोनी थाना में दर्ज कराई थी। इसके बाद विवि प्रबंधन ने तत्कालीन एनएसएस कोऑर्डिनेटर प्रो. दिलीप झा को निलंबित कर दिया, जबकि मौके पर मौजूद छह अन्य प्रभारियों पर केवल FIR दर्ज की गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की।

कोऑर्डिनेटर बोले- कैंप में नहीं था मौजूद

प्रो. दिलीप झा ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि वे कैंप के दौरान शिवतराई गांव गए ही नहीं थे। वे विश्वविद्यालय में ही अन्य कार्यों में व्यस्त थे और इस घटना की जानकारी उन्हें 15 दिन बाद मिली, जब छात्रों ने शिकायत की। उन्होंने यह भी कहा कि कैंप के दौरान किसी भी छात्र या प्रभारी ने उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी।

159 छात्र थे मौजूद, 4 मुस्लिम छात्र

इस कैंप में कुल 159 छात्र-छात्राएं शामिल थे, जिनमें 4 मुस्लिम और 155 हिंदू छात्र थे। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि ईद के दिन कुछ छात्रों को जबरन नमाज अदा करने के लिए बाध्य किया गया। इस मामले ने तेजी से तूल पकड़ा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) सहित कई हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन भी किया। लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, यह मामला ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है।

प्रबंधन की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल

विवि प्रशासन द्वारा केवल प्रो. झा पर सख्त कार्रवाई और अन्य जिम्मेदारों को राहत देने को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। छात्रों और संगठनों का आरोप है कि प्रबंधन पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है और मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो रही।

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यह मामला न सिर्फ विवि के प्रशासनिक निर्णयों पर सवाल खड़ा कर रहा है, बल्कि देशभर में छात्र संगठनों और सामाजिक वर्गों के बीच असंतोष की स्थिति भी उत्पन्न कर रहा है। अब देखना यह है कि क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होकर सभी दोषियों पर एक समान कार्रवाई होगी या फिर यह भी अन्य विवादों की तरह भुला दिया जाएगा।

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