“न्याय बाकी है” – 24 पन्नों का सुसाइड नोट और 1 घंटे 21 मिनट का वीडियो
सुसाइड नोट की खास बातें
- अतुल सुभाष अपनी पत्नी से लंबे समय से अलग रह रहे थे।
- पत्नी ने घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश, और अप्राकृतिक यौनाचार के झूठे केस दर्ज कराए।
- कोर्ट की 120 तारीखों और 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आने-जाने से तनाव बढ़ा।
- डिप्रेशन के चलते आत्महत्या का कदम उठाया।
- सोमवार सुबह उनका शव पंखे से लटका मिला।
- माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़े।
- सुसाइड नोट में न्याय की अपील और दोषियों को सजा दिलाने की बात कही।
- अस्थियां विसर्जित न करने की इच्छा जताई जब तक इंसाफ न हो।
बेंगलुरु. में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 24 पन्नों के सुसाइड नोट और 1 घंटे 21 मिनट के वीडियो में उन्होंने अपनी जिंदगी में आई कठिनाइयों और दर्द का विस्तार से वर्णन किया। घरेलू कलह, झूठे मुकदमे, ससुराल वालों के अत्याचार और कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं ने उन्हें इस कदर तोड़ दिया कि उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
कौन थे अतुल सुभाष?
अतुल उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और बेंगलुरु में एक प्रतिष्ठित टेक्नोलॉजी कंपनी में एआई इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे। वे अपने माता-पिता और भाई के साथ रहते थे। एक सामान्य और खुशहाल जिंदगी जीने वाले अतुल की जिंदगी शादी के बाद पूरी तरह बदल गई। उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया से बड़े अरमानों के साथ शादी की थी, लेकिन यह रिश्ता उनके लिए एक बुरे सपने में बदल गया।
सुसाइड नोट में व्यक्त दर्द
अतुल के 24 पन्नों के सुसाइड नोट से उनकी पीड़ा साफ झलकती है। उन्होंने लिखा,
“मैं बेंगलुरु में रहता हूं और मैं सुसाइड करने जा रहा हूं। मेरी अस्थियां गटर में बहा देना। मेरी मौत के जिम्मेदार मेरी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग उर्फ पीयूष, और चचिया ससुर सुशील सिंघानिया होंगे। मेरी अंतिम इच्छा है कि मेरी अस्थियां तब तक विसर्जित न की जाएं, जब तक मेरे आरोपियों को सजा न मिल जाए।”
पत्नी और ससुराल वालों से प्रताड़ना
अतुल ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर कई गंभीर आरोप लगाए।
- झूठे मुकदमे: उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ नौ झूठे मुकदमे दर्ज कराए। इनमें घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश, दहेज उत्पीड़न और अप्राकृतिक यौनाचार जैसे गंभीर आरोप शामिल थे।
- मानसिक प्रताड़ना: पत्नी और ससुराल वालों ने उन्हें मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित किया कि वे डिप्रेशन में चले गए।
- आर्थिक शोषण: पत्नी ने ₹3 करोड़ की एलिमनी और ₹80,000 मासिक मेंटिनेंस की मांग की।
कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग
अतुल ने सुसाइड नोट में भारतीय न्याय प्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा,
“मैंने 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर की यात्रा की। कोर्ट में सिर्फ तारीख पर तारीख मिलती है। कभी जज नहीं होते, तो कभी किसी और कारण से सुनवाई टल जाती है। रिश्वत देने से मना करने पर फैसला मेरे खिलाफ गया।”
अतुल ने यह भी बताया कि जौनपुर की फैमिली कोर्ट के जज ने ₹3 करोड़ की एलिमनी का दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी ने हत्या के झूठे आरोप लगाए थे, जो बाद में अदालत में झूठे साबित हुए।
आखिरी संदेश और इच्छा
अतुल ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में कई भावनात्मक बातें कही। उन्होंने अपने माता-पिता और बेटे के भविष्य की चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा:
“मेरे मरे हुए शरीर के आसपास मेरी पत्नी और उसके परिवार का कोई सदस्य न आए। मेरे बेटे की परवरिश मेरे माता-पिता करें। अगर मेरे आरोपियों को सजा न मिले, तो मेरी अस्थियां गटर में बहा देना।”
मृत्यु से पहले रिकॉर्ड किया गया वीडियो
सुसाइड से पहले अतुल ने 1 घंटे 21 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया। इसमें उन्होंने अपनी जिंदगी की परेशानियों और पत्नी के अत्याचारों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा:
“मेरा पैसा मुझे बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है। मेरे टैक्स के पैसे से पुलिस और कोर्ट जैसी संस्थाएं मुझे और मेरे परिवार को परेशान कर रही हैं। इसलिए मैं अपनी आय का स्रोत खत्म कर रहा हूं।”
सोशल मीडिया पर गूंजा मामला
अतुल की आत्महत्या के बाद उनकी कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। ट्विटर पर #JusticeForAtul ट्रेंड करने लगा। लोग दहेज कानून और अन्य कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर सवाल उठा रहे हैं।
न्याय प्रणाली पर सवाल
अतुल की मौत ने भारतीय न्याय प्रणाली और दहेज कानूनों के दुरुपयोग पर फिर से बहस छेड़ दी है।
- दहेज कानून का दुरुपयोग: सुप्रीम कोर्ट भी कई बार दहेज कानून के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त कर चुका है। ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाया जाता है।
- लंबी कानूनी प्रक्रिया: कोर्ट में बार-बार तारीखें मिलने और सुनवाई में देरी से न्याय पाने में कठिनाई होती है।
परिवार की प्रतिक्रिया
अतुल के माता-पिता और भाई उनके निधन से गहरे सदमे में हैं। उनके भाई ने कहा,
“अतुल बहादुर था। वह हमेशा हंसते हुए मुश्किलों का सामना करता था। हमने कभी नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा कदम उठाएगा।”
समाज की प्रतिक्रिया
अतुल की आत्महत्या ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। लोग कह रहे हैं कि ऐसी घटनाएं कानूनी प्रक्रिया में सुधार और दहेज कानून के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में गंभीर कदम उठाने की जरूरत को उजागर करती हैं।
सरकार और न्यायपालिका की जिम्मेदारी
अतुल के मामले ने यह साबित किया है कि न्यायपालिका और सरकार को ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए। झूठे मुकदमों की पहचान और उनके खिलाफ सख्त सजा सुनिश्चित करनी चाहिए।
कानूनी प्रक्रिया में सुधार की मांग
लोग मांग कर रहे हैं कि:
- दहेज कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं।
- लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की जाए।
- झूठे मुकदमों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
Disclaimer
जीवन अमूल्य है। किसी भी समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं है। अगर आप तनाव में हैं या डिप्रेशन महसूस कर रहे हैं, तो हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें।