Aluminium Cookware Alert: क्या आपके रसोई के एल्युमिनियम बर्तन हो चुके हैं एक्सपायर? BIS ने दी जरूरी चेतावनी
भारतीय रसोई में एल्युमिनियम बर्तन आम बात हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बर्तनों की भी एक्सपायरी डेट होती है? भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने हाल ही में लोगों को आगाह किया है कि पुराने एल्युमिनियम बर्तन सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। जानिए क्यों और कब बदलने चाहिए ये बर्तन।
BIS ने क्या कहा?
BIS के अनुसार, एल्युमिनियम एक नरम धातु है जो लंबे समय तक तेज आंच पर इस्तेमाल होने से कमजोर हो जाती है। इससे बर्तन की सतह घिसने लगती है और खाने में हानिकारक धातुएं जैसे सीसा, कैडमियम, मरकरी और हेक्सावेलेंट क्रोमियम मिल सकती हैं, जो सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।
बर्तनों की आयु कितनी होनी चाहिए?
- हल्के बर्तन: सिर्फ 12 महीने तक इस्तेमाल करें।
- मध्यम से भारी बर्तन: 24 महीने तक चल सकते हैं, लेकिन उपयोग और देखभाल पर निर्भर करता है।
BIS के नए नियम क्या हैं?
- हर एल्युमिनियम बर्तन पर अब ग्रेड का उल्लेख करना अनिवार्य है।
- बर्तनों में लेड, कैडमियम, मरकरी और हेक्सावेलेंट क्रोमियम की मात्रा 0.05% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- हर 1–2 साल में बर्तन बदलने की सिफारिश की गई है।
एल्युमिनियम ग्रेड की पहचान कैसे करें?
- ग्रेड 19000: 99% शुद्ध एल्यूमीनियम, लेकिन जल्दी खराब होता है।
- ग्रेड 63540/60342: मिश्रधातु से बने बर्तन जो ज्यादा टिकाऊ होते हैं।
पुराने एल्युमिनियम बर्तनों से होने वाले नुकसान
- त्वचा एलर्जी: कुछ लोगों को रिएक्शन हो सकता है।
- खरोंच और बैक्टीरिया: खरोंच में गंदगी और बैक्टीरिया छिप सकते हैं।
- हाई हीट पर रिसाव: तेज आंच पर धातु का रिसाव हो सकता है।
- रंग बदलना: समय के साथ बर्तन काले या पीले हो सकते हैं, जो खराब गुणवत्ता का संकेत है।
क्या करें? – सेफ किचन टिप्स
- हर साल बर्तनों की स्थिति की जांच करें।
- कोटिंग हटने या रंग बदलने पर बर्तन तुरंत बदलें।
- एनोडाइज्ड या हेवी ग्रेड बर्तन चुनें – ये ज्यादा टिकाऊ होते हैं।
- अगर संभव हो, तो ट्राई-प्लाई या स्टेनलेस स्टील बर्तनों में निवेश करें।
डिसक्लेमर
यह जानकारी केवल जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या या इलाज के लिए हमेशा विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लें।
पुराने एल्युमिनियम बर्तन सिर्फ आपकी रसोई की शोभा नहीं घटाते, बल्कि आपकी सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं। समय रहते बदलाव करें और सुरक्षित खाना पकाएं।