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मेकाहारा अस्पताल में पत्रकार के साथ बदसलूकी, बाउंसरों ने की धक्का-मुक्की – सीसीटीवी में कैद हुई घटना

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मेकाहारा अस्पताल में पत्रकार के साथ बदसलूकी, बाउंसरों ने की धक्का-मुक्की – सीसीटीवी में कैद हुई घटना

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, मेकाहारा (डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल) में पत्रकार के साथ बदसलूकी का गंभीर मामला सामने आया है। अस्पताल की सुरक्षा में तैनात प्राइवेट बाउंसरों द्वारा एक टीवी चैनल के पत्रकार के साथ न केवल अपशब्दों का प्रयोग किया गया, बल्कि उसे जबरन धक्का देकर पीछे हटाया गया। यह पूरी घटना अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है, जिसकी फुटेज अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब उरला इलाके में हुई चाकूबाजी की घटना की कवरेज के लिए पत्रकार मेकाहारा अस्पताल पहुंचा था। घायल लोगों की स्थिति जानने के लिए जैसे ही पत्रकार संबंधित वार्ड की ओर बढ़ा, एक बाउंसर ने उसे रोक लिया। पत्रकार द्वारा परिचय देने और कवरेज के उद्देश्य को स्पष्ट करने के बावजूद, बाउंसर ने उसे रोकने की कोशिश की और मार्मिक भाषा का इस्तेमाल करते हुए धक्का दे दिया।

सुरक्षा के नाम पर मनमानी

मेकाहारा अस्पताल में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसी के बाउंसरों की कार्यशैली पहले भी कई बार विवादों में रही है। परिजनों, मरीजों और अब पत्रकारों के साथ हो रही घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि इन बाउंसरों को कितनी छूट दी गई है और क्या उनका आचरण प्रशासन के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए?

सीसीटीवी फुटेज वायरल, चौतरफा आलोचना

घटना का सीसीटीवी वीडियो सामने आने के बाद आम नागरिकों, पत्रकार संगठनों और राजनैतिक दलों में आक्रोश है। पत्रकारों ने इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताते हुए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। इससे पहले भी अस्पताल में बाउंसरों द्वारा मरीजों और चिकित्सकों के साथ बदसलूकी की घटनाएं सामने आती रही हैं, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अस्पताल प्रशासन सुरक्षा के नाम पर मनमानी को बढ़ावा दे रहा है? क्या इन बाउंसरों को उनके कर्तव्यों की सीमाएं सिखाई गई हैं? और यदि नहीं, तो इसका जिम्मेदार कौन है?

तेज रफ्तार बस अनियंत्रित होकर खेत में पलटी, 20 से अधिक यात्री घायल

फिलहाल, पत्रकार संगठनों ने इस घटना के विरोध में मोर्चा खोल दिया है और आने वाले दिनों में इसके सामाजिक व राजनीतिक परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। अब सबकी निगाहें प्रशासन और राज्य सरकार पर टिकी हैं कि क्या वे इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हैं या इसे भी बीते मामलों की तरह नजरअंदाज कर दिया जाएगा।

 

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