5 करोड़ की दास्तान: बेरोजगारों को सरकारी दफ्तर घुमाकर, 5 करोड़ की चाय-पानी ले गए ठग!
रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस ने फर्जी सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर 5 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के चार और सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इससे पहले, पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी देवेंद्र जोशी और उसकी पत्नी झगीता जोशी को हिरासत में लिया था। अब गिरोह के अन्य चार सदस्यों की गिरफ्तारी से मामले में और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
कैसे होती थी ठगी?
गिरोह बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनसे मोटी रकम ऐंठता था। आरोपियों ने फर्जी पैनल तैयार कर 60 से अधिक लोगों से 5 करोड़ रुपये की ठगी की। नौकरी का भरोसा दिलाने के लिए वे खुद को ऊंचे पदाधिकारियों से जुड़ा हुआ बताते थे और फर्जी नियुक्ति पत्र तक जारी करते थे। इसके लिए उन्होंने मंत्रालय की फर्जी ईमेल आईडी तक बना रखी थी।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम
- नफीज आलम (33 वर्ष) – कोरबा निवासी
- हलधर बेहरा (31 वर्ष) – रायगढ़ निवासी
- सोमेश दुबे (44 वर्ष) – गरियाबंद निवासी
- स्वप्निल दुबे (44 वर्ष) – रायपुर निवासी (रेलवे कर्मचारी)
गिरोह के सदस्य स्वप्निल दुबे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर की वैगन रिपेयर शॉप में तकनीशियन-I के पद पर कार्यरत था। वह बेरोजगारों की फर्जी वेरिफिकेशन प्रक्रिया को अंजाम देता था।
कैसे हुआ खुलासा?
पीड़िता अंजना गहिरवार ने पुलिस को शिकायत दी कि फरवरी 2021 में जब वह अपने मौसा-मौसी देवेंद्र और झगीता जोशी के घर आई थी, तब उसे सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया गया। आरोपियों ने उसे भरोसा दिलाया कि वे उच्च अधिकारियों के संपर्क में हैं और आसानी से नौकरी लगवा सकते हैं। अंजना और कई अन्य युवाओं ने 25-25 लाख रुपये दिए, लेकिन जब नौकरी नहीं मिली और उन्होंने पैसे वापस मांगे तो आरोपियों ने बहाने बनाकर उन्हें टालना शुरू कर दिया।
फर्जीवाड़े का तरीका
🔹 आरोपियों ने अलग-अलग सरकारी विभागों में फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार किए।
🔹 अपने वाहनों पर ‘छत्तीसगढ़ शासन’ की नेम प्लेट लगाकर लोगों को सरकारी संपर्क होने का भरोसा दिलाते थे।
🔹 बेरोजगारों को मंत्रालय और सरकारी दफ्तरों तक ले जाकर उनकी ठगी को असली रूप देते थे।
🔹 स्वप्निल दुबे बेरोजगारों की फर्जी वेरिफिकेशन कराता था और मंत्रालय की फर्जी ईमेल आईडी से नियुक्ति पत्र भेजता था।
पुलिस ने ऐसे दबोचा गिरोह
इस मामले में पुलिस ने गहन जांच के बाद पहले मास्टरमाइंड देवेंद्र जोशी और उसकी पत्नी झगीता जोशी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उन्होंने अपने साथी स्वप्निल दुबे का नाम उजागर किया, जिसके बाद पुलिस ने उसे भी पकड़ लिया। आगे की जांच में नफीज आलम, हलधर बेहरा और सोमेश दुबे के नाम सामने आए, जिन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। गिरोह के एक अन्य सदस्य विकास शर्मा की कुछ समय पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है।
ठगी के पैसे कहां गए?
आरोपियों ने ठगी से कमाए पैसे को जमीन, सोना, इलेक्ट्रॉनिक सामान और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रखा था। पुलिस ने इन संपत्तियों को जब्त कर लिया है।
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जब्त संपत्ति की सूची:
✔️ सोना: 4 सिक्के, 1 हार, 1 बिंदिया
✔️ इलेक्ट्रॉनिक सामान: 3 मोबाइल, 2 एसी, 1 फ्रीज, 2 पंखे, 1 होम थिएटर
✔️ वाहन: 1 स्कॉर्पियो, 1 स्कूटी
✔️ नकदी: बैंक खातों में जमा 15 लाख रुपये होल्ड किए गए
✔️ जमीन: सोनपैरी, टेकारी और कमल विहार में खरीदी गई संपत्ति पर रोक लगा दी गई है।
फरार आरोपी और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने अब तक 20 से अधिक पीड़ितों की पहचान कर ली है और उनके बयान दर्ज किए जा रहे हैं। विवेचना में गिरोह के अन्य सदस्यों की संलिप्तता के भी प्रमाण मिले हैं। फरार आरोपियों की तलाश जारी है और पुलिस जल्द ही उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी में है।