23 साल की युवती की स्टेज पर डांस करते समय मौत: एक्सपर्ट ने बताया कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर
इंदौर: हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें 23 साल की एक युवती की शादी समारोह में डांस करते-करते अचानक मौत हो गई। यह घटना विदिशा के मगधम रिसॉर्ट में हुई, जहां परिणीता जैन नाम की युवती अपनी कजन सिस्टर की शादी में शामिल होने आई थी। वह डांस कर रही थी, तभी अचानक गिर पड़ी और बेहोश हो गई। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर युवाओं में दिल से जुड़ी बीमारियों को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
युवाओं को क्यों होता है कार्डिएक अरेस्ट?
दिल्ली के अपोलो अस्पताल के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मुकेश गोयल ने बताया कि बुजुर्गों को आमतौर पर दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ता है, जबकि युवाओं में कार्डिएक अरेस्ट की संभावना ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि इन दोनों स्थितियों में बड़ा अंतर होता है और इसे समझना बेहद जरूरी है।
हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में क्या अंतर है?
- हार्ट अटैक: यह तब होता है जब दिल की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल और कैल्शियम जमने लगते हैं। इससे ब्लड फ्लो प्रभावित होता है और जब धमनियां पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती हैं, तो दिल के उस हिस्से की मांसपेशियां मरने लगती हैं। यह समस्या आमतौर पर ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है।
- कार्डिएक अरेस्ट: यह तब होता है जब दिल की धड़कन अचानक रुक जाती है, जिससे व्यक्ति बेहोश होकर गिर जाता है। यह अधिकतर युवाओं में देखने को मिलता है और इसके पीछे जन्मजात दिल की बीमारी, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, अधिक तनाव, अत्यधिक व्यायाम या जेनेटिक कारण हो सकते हैं।
युवाओं को क्यों हो रहा है कार्डिएक अरेस्ट?
डॉक्टर गोयल के मुताबिक, आजकल युवाओं में भी दिल की बीमारियां बढ़ रही हैं। इसके प्रमुख कारण हैं:
- अत्यधिक तनाव और अनियमित दिनचर्या
- जंक फूड और अस्वस्थ खानपान
- नशे की लत और अत्यधिक कैफीन सेवन
- व्यायाम की कमी या अत्यधिक वर्कआउट
- जन्मजात हृदय संबंधी बीमारियां
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कैसे करें बचाव?
विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय रोगों से बचने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और समय-समय पर मेडिकल चेकअप जरूरी है। यदि किसी को सीने में दर्द, अत्यधिक थकान, अनियमित दिल की धड़कन या चक्कर आने की समस्या हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या युवाओं को भी दिल की बीमारियों से सतर्क रहने की जरूरत है? विशेषज्ञों का कहना है कि सही जीवनशैली अपनाकर और नियमित जांच कराकर इन खतरों को काफी हद तक रोका जा सकता है।