नई दिल्ली: एक 11 महीने की बच्ची, जयश्वी, जो स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी (SMA) टाइप 1 जैसी दुर्लभ और जानलेवा बीमारी से जूझ रही है, ने अपनी जान बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

बच्ची के इलाज के लिए जरूरी जीन थेरेपी “ज़ोलजेंसमा” का इंजेक्शन, जिसकी कीमत 14 करोड़, 20 लाख रुपये है, उसकी जिंदगी बचाने के लिए बेहद आवश्यक है, लेकिन बच्ची के परिवार के लिए इतनी भारी रकम जुटाना संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बच्ची की मां ने सरकार से आर्थिक सहायता देने की अपील की है। याचिका में बताया गया है कि यह इलाज केवल ज़ोलजेंसमा जीन थेरेपी से ही संभव है, और यदि बच्ची को 2 साल की उम्र से पहले यह इलाज नहीं मिलता, तो उसकी जिंदगी को बचाना नामुमकिन हो सकता है।
बच्ची के पिता वायुसेना में हैं, और सरकारी नीति के अनुसार वह रक्षा मंत्रालय से आर्थिक मदद प्राप्त नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह बच्ची के इलाज के लिए आवश्यक 14 करोड़ रुपये का फंड रिलीज करें और इसे निर्यात के साथ बच्ची को तुरंत उपलब्ध कराए। इसके साथ ही, रक्षा मंत्रालय और चीफ ऑफ एयर स्टाफ को निर्देश दिए जाएं कि वे सेना के कर्मियों से क्राउड फंडिंग के लिए अपील करें।
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच के सामने आया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायणन ने पैरवी की। जस्टिस सूर्यकांत ने इसे एक गंभीर और दुर्लभ मामला बताया। कोर्ट ने केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय, चीफ ऑफ एयर स्टाफ और आर्मी हॉस्पिटल को नोटिस जारी किया है और अटॉर्नी जनरल से इस पर अपनी राय देने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी।
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