बस्तर बना मलेरिया मुक्त: विष्णुदेव साय सरकार की पहल से 72% मामलों में गिरावट, 500 से अधिक गांव मलेरिया मुक्त घोषित
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी पर नियंत्रण पाने में विष्णुदेव साय सरकार को बड़ी सफलता मिली है। ‘मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान’ के तहत बस्तर जैसे संवेदनशील और दूरस्थ क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में 72% तक की गिरावट दर्ज की गई है। 500 से अधिक गांवों को मलेरिया मुक्त घोषित किया जा चुका है, जो कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
बस्तर अब मलेरिया का गढ़ नहीं
कभी मलेरिया की राजधानी माने जाने वाले बस्तर के दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर जैसे जिलों में अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। 2015 में जहां मलेरिया धनात्मक दर 4.60% थी, वह अब घटकर 0.46% रह गई है। वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) भी 27.4 से घटकर 7.11 पर आ गया है। मृत्यु दर में 90% और हॉस्पिटल एडमिशन में 75% की कमी दर्ज की गई है।
‘मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान’ की रणनीति
जनवरी 2024 से शुरू हुए इस विशेष अभियान में निम्नलिखित कार्य किए गए:
- डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग और रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) के जरिए मरीजों की पहचान
- पॉजिटिव मरीजों को तुरंत दवा और मेडिकल किट वितरण
- गांवों में मच्छरदानी (ITN) का मुफ्त वितरण
- जलस्रोतों पर लार्वा नियंत्रण, घरों में कीटनाशक स्प्रे
- AI आधारित अलर्ट सिस्टम और ड्रोन से निगरानी
- जियो टैगिंग और मोबाइल ऐप से हर जांच का रिकॉर्ड
- स्कूलों और पंचायतों में जागरूकता सत्र, नुक्कड़ नाटक, वीडियो, दीवार लेखन आदि
जनभागीदारी से मिली सफलता
स्वास्थ्य विभाग के साथ ग्रामीण विकास, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, वन विभाग जैसे कई विभागों ने मिलकर इस अभियान को सफल बनाया। जनजातीय समुदाय को भी अभियान में सक्रिय रूप से जोड़ा गया।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सराहना
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘बस्तर मॉडल’ को “बेस्ट प्रैक्टिस” घोषित किया है। वहीं WHO ने भी बस्तर के प्रयासों को सराहा और इसे अन्य आदिवासी क्षेत्रों में लागू करने की सिफारिश की है।
स्थायी समाधान की दिशा में कदम
- हर गांव में स्थायी स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना
- स्कूल हेल्थ कार्ड योजना के तहत बच्चों की नियमित जांच
- हर घर मच्छरदानी, स्वच्छ जल की व्यवस्था
- साल में दो बार मलेरिया जागरूकता सप्ताह का आयोजन
दर्दनाक: सोते समय सांप ने डसा युवती और किशोर को, इलाज से पहले ही दोनों ने तोड़ा दम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री साय ने इस उपलब्धि को जन-केंद्रित नीति, तकनीक के प्रयोग और समर्पित स्वास्थ्य प्रयासों का परिणाम बताया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, मितानिनों और सभी सहयोगियों का आभार जताया और कहा कि “यह उपलब्धि संपूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरणा है।”
बस्तर में मलेरिया नियंत्रण की यह सफलता अब न केवल एक राज्यीय मॉडल, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक उदाहरण बनती जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल साबित करती है कि संगठित प्रयास, तकनीक और जनभागीदारी से किसी भी चुनौती को मात दिया जा सकता है।