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EC का नया आदेश: अब सिर्फ 45 दिन तक ही संभालकर रखे जाएंगे चुनावी फोटो-वीडियो, कांग्रेस बोली – लोकतंत्र पर हमला

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EC का नया आदेश: अब सिर्फ 45 दिन तक ही संभालकर रखे जाएंगे चुनावी फोटो-वीडियो, कांग्रेस बोली – लोकतंत्र पर हमला

नई दिल्ली। चुनाव आयोग (Election Commission) ने चुनावी वीडियो और फोटो को लेकर एक बड़ा बदलाव करते हुए नए निर्देश जारी किए हैं। अब अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव परिणाम को कानूनी चुनौती नहीं मिलती, तो मतगणना के 45 दिन बाद उस चुनाव से जुड़े सभी वीडियो और फोटो डेटा हटा दिए जाएंगे।

EC का तर्क: गलत नरेटिव और डेटा का दुरुपयोग

चुनाव आयोग का कहना है कि हाल के वर्षों में चुनावी वीडियो और फोटो का गलत इस्तेमाल बढ़ा है। कुछ लोगों ने इन्हें तोड़-मरोड़कर सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने और मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश की। इसी के चलते आयोग ने यह फैसला लिया है।

अब तक चुनावों से जुड़े फोटो और वीडियो को 3 महीने से लेकर 1 साल तक संरक्षित रखा जाता था। लेकिन 30 मई 2025 को जारी एक निर्देश में आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को आदेश दिया है कि यदि 45 दिनों के भीतर चुनाव याचिका नहीं दाखिल होती, तो संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के सभी रिकॉर्डेड विजुअल्स हटा दिए जाएं।

CCTV फुटेज पर पहले ही लग चुकी है पाबंदी

गौरतलब है कि इससे पहले 20 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने भी चुनाव से जुड़े नियमों में बदलाव किया था। नए प्रावधानों के तहत पोलिंग स्टेशन के CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग और उम्मीदवारों की रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई थी। कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग की सिफारिश पर ‘द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961’ में संशोधन कर यह बदलाव किया था।

अधिकारियों का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के ज़रिये फुटेज के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी नैरेटिव फैलाया जा सकता है। हालांकि, यह डेटा उम्मीदवारों को उपलब्ध रहेगा। अन्य लोग कोर्ट की अनुमति के बाद इसे प्राप्त कर सकेंगे।

कांग्रेस का विरोध: कहा- लोकतंत्र और पारदर्शिता पर हमला

चुनाव आयोग के इस नए आदेश का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। पार्टी का कहना है कि पहले ये रिकॉर्डिंग्स एक साल तक सुरक्षित रखी जाती थीं ताकि ज़रूरत पड़ने पर जांच हो सके। अब 45 दिनों में रिकॉर्ड हटा देना लोकतंत्र और पारदर्शिता के खिलाफ है।

कांग्रेस ने कहा, “चुनाव आयोग और मोदी सरकार मिलकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं। पहले दस्तावेजों को जनता से छिपाया गया, अब रिकॉर्ड ही खत्म किए जा रहे हैं।” पार्टी ने मांग की है कि यह आदेश तुरंत वापस लिया जाए।

राहुल गांधी ने भी उठाए थे सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले महाराष्ट्र चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से पोलिंग बूथ की CCTV फुटेज की मांग की थी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा था कि चुनाव की पारदर्शिता के लिए इन फुटेज का सार्वजनिक होना जरूरी है।

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चुनाव आयोग का यह फैसला चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाम डेटा के दुरुपयोग की बहस को फिर से तेज कर सकता है। जहां एक ओर आयोग डेटा के दुरुपयोग को रोकने की बात कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र के खिलाफ बता रहा है।

 

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