फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स के बाद अब सिचुएशनशिप का दौर! बिना नाम वाला रिश्ता ‘सिचुएशनशिप’, समझें इसकी सच्चाई
पिछले कुछ वर्षों में रिश्तों के नए-नए ट्रेंड सामने आए हैं। ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ और ‘कैजुअल डेटिंग’ के बाद अब ‘सिचुएशनशिप’ युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह एक ऐसा रिलेशनशिप स्टाइल है, जो दोस्ती और कमिटेड रिलेशनशिप के बीच कहीं स्थित होता है। इसमें दो लोग रोमांटिक और इंटिमेट होते हैं, लेकिन उनके रिश्ते की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती। इसे ‘No Label Relationship’ भी कहा जाता है, जहां प्यार और इमोशनल कनेक्शन तो होता है, लेकिन कोई ऑफिशियल कमिटमेंट नहीं होती।
क्यों बढ़ रहा है सिचुएशनशिप ट्रेंड?
तेजी से बदलती लाइफस्टाइल, करियर प्रेशर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिक महत्व देने के कारण पारंपरिक रिश्तों से बचने की प्रवृत्ति बढ़ी है। खासतौर पर Gen Z और मिलेनियल्स इस ट्रेंड को अपनाने लगे हैं क्योंकि इसमें किसी प्रकार की अपेक्षाएं या जिम्मेदारियां नहीं होतीं।
सिचुएशनशिप के फायदे
✅ कोई दबाव नहीं: इसमें कमिटमेंट की टेंशन नहीं होती, जिससे लोग अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन को स्वतंत्र रूप से मैनेज कर सकते हैं।
✅ इमोशनल और फिजिकल कनेक्शन: इसमें लोग एक-दूसरे के साथ अच्छा समय बिताते हैं, जिससे अकेलापन महसूस नहीं होता।
✅ कोई हार्टब्रेक नहीं: क्योंकि इसमें कोई लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट नहीं होती, इसलिए ब्रेकअप का डर कम रहता है।
सिचुएशनशिप के नुकसान
❌ असुरक्षा की भावना: रिश्ते की स्पष्टता न होने के कारण एक पार्टनर खुद को असुरक्षित और भ्रमित महसूस कर सकता है।
❌ इमोशनल बर्डन: अगर एक पार्टनर ज्यादा जुड़ जाता है, लेकिन दूसरा आगे बढ़ जाता है, तो यह दर्दनाक हो सकता है।
❌ भविष्य को लेकर अनिश्चितता: ऐसे रिश्तों का कोई तय भविष्य नहीं होता, जिससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
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सिचुएशनशिप सही है या गलत?
यह पूरी तरह व्यक्ति की पसंद पर निर्भर करता है। अगर आप किसी गंभीर रिश्ते के लिए तैयार नहीं हैं और सिर्फ कंपनी चाहते हैं, तो सिचुएशनशिप आपके लिए सही हो सकता है। लेकिन अगर आप जल्दी भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं और लॉन्ग-टर्म रिलेशनशिप चाहते हैं, तो यह आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता है।