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पत्नी को पति के बाएं ओर सोने की परंपरा: जानें इसके पीछे के रहस्यों को

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Astro Tips: पत्नी को पति के बाएं ओर सोने की परंपरा: जानें इसके पीछे के रहस्यों को

ज्योतिष शास्त्र में कुछ परंपराएं और मान्यताएँ ऐसी हैं, जो दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने में मदद करती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण मान्यता है कि पत्नी को हमेशा पति के बाएं ओर सोना चाहिए। इस परंपरा का पालन करने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण छिपे हुए हैं। आइए जानते हैं, क्यों ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र के अनुसार पत्नी को पति के बाएं तरफ सोने की सलाह दी जाती है।

धार्मिक दृष्टिकोण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के बाद पत्नी को पति के बाएं तरफ सोने के लिए कहा जाता है। इसे वामांगी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर रूप धारण किया था, तो वह बाईं ओर ही स्त्री रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए, नारी को बाएं अंग का अधिकारी माना जाता है और यही कारण है कि पत्नी को पति के बाएं ओर सोना चाहिए।

वास्तु शास्त्र और मानसिक शांति

वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि पत्नी पति के बाएं तरफ सोती है, तो उनके रिश्ते में प्रेम और सम्मान बना रहता है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और दांपत्य जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। इसके विपरीत, अगर पत्नी दाएं तरफ सोती है, तो यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। चंद्र नाड़ी पर सकारात्मक प्रभाव के कारण शरीर और मन को शांति मिलती है, जिससे चिंता और तनाव कम होता है।

सूर्य और चंद्र नाड़ी का प्रभाव

हमारे शरीर में सूर्य और चंद्र नाड़ी का विशेष महत्व है। सूर्य नाड़ी दाएं ओर स्थित होती है, जो तेज सोचने और निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाती है। वहीं, चंद्र नाड़ी बाईं ओर होती है, जो शांति, भावनात्मकता और मानसिक संतुलन को बढ़ावा देती है। जब पत्नी पति के बाएं ओर सोती है, तो चंद्र नाड़ी सक्रिय होती है, जो शांति और संतुलन लाती है।

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सुख-समृद्धि और शारीरिक लाभ

इस मान्यता के अनुसार, जब पत्नी पति के बाएं ओर सोती है, तो उनके दांपत्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह न केवल रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि पति की सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। उनके जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है, और दोनों के बीच प्रेम और सम्मान कायम रहता है।

यह लेख धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि इन मान्यताओं की पुष्टि वैज्ञानिक रूप से नहीं की जा सकती है, और यह व्यक्तिगत विश्वासों पर निर्भर करता है।

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