कुंभ यात्रा में भगदड़ के बाद भी लोगों का जोश बरकरार: ट्रेनें, बसें, और टैक्सी पूरी तरह फुल
प्रयागराज. महाकुंभ में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ से प्रतिदिन 2 हजार से ज्यादा यात्री ट्रेन से प्रयागराज पहुंच रहे हैं। हालांकि हाल ही में हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई, फिर भी लोगों में कुंभ मेले के प्रति उत्साह कम नहीं हुआ है। 29 से 30 जनवरी के बीच रायपुर मंडल से सारनाथ और बरौनी एक्सप्रेस में 10 प्रतिशत यात्रियों ने टिकट रद्द किया, जबकि इससे कहीं ज्यादा यात्रियों ने बुकिंग कराई। हरिभूमि के अनुसार, रोजाना 200 से अधिक लोग काउंटर और रिजर्वेशन टिकट खरीदने के लिए प्रयागराज जा रहे हैं।
वेटिंग के बावजूद लोग सफर कर रहे हैं, और एसी कोच में भी यात्री खड़े होकर यात्रा करने को तैयार हैं। आरक्षण भवन की जानकारी के अनुसार, भगदड़ का असर ट्रेन की बुकिंग पर नहीं पड़ा है। सीटें भरने के कारण कई यात्री बसों की बजाय अब ट्रेन का टिकट खरीद रहे हैं। टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स का कहना है कि भगदड़ के बाद गुरुवार को कुंभ जाने वाले 10 से 20 प्रतिशत लोगों ने टिकट कैंसिल किया, जबकि बाकी ने यात्रा जारी रखी।
वापसी के लिए बढ़ी परेशानियां
कुंभ में हुई भगदड़ के बाद रायपुर से प्रयागराज गए श्रद्धालुओं की वापसी में कठिनाई बढ़ गई है। जिन लोगों ने ट्रेन या बस से एक तरफ का टिकट लिया था, उन्हें अब वापसी के लिए बड़ी परेशानी हो रही है। प्रयागराज से आने वाली ट्रेनों में सीटें नहीं मिल रही हैं। कई श्रद्धालुओं को वापसी के लिए कई टुकड़ों में यात्रा करनी पड़ रही है। कुछ लोग प्रयागराज से बनारस, तो कुछ अंबिकापुर तक जा रहे हैं। प्रयागराज प्रशासन ने शहर को नो ट्रैफिक जोन बना दिया है, जिसके कारण श्रद्धालुओं को संगम तक पैदल जाना पड़ रहा है। टैक्सी वाले 25,000 रुपये तक किराया मांग रहे हैं, और होटल का किराया भी 4,000 रुपये तक बढ़ चुका है।
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निजी वाहनों की संख्या में गिरावट
रायपुर से प्रयागराज जाने वाले निजी वाहनों की संख्या में भी बड़ी कमी आई है। पहले रोज 400 से ज्यादा वाहन प्रयागराज जा रहे थे, लेकिन मंगलवार के बाद यह संख्या घटकर 30 से 40 रह गई है। प्रयागराज पहुंचने में यात्रियों को अब दोगुना समय लग रहा है। रायपुर से प्रयागराज की 584 किलोमीटर की दूरी पहले 11 घंटे में तय हो रही थी, अब यह दूरी 22 से 24 घंटे में पूरी हो रही है। इसके अलावा, प्रयागराज से वाराणसी के बीच 28 और 29 जनवरी को ट्रेनें 48 घंटे तक रुकती रहीं, जिससे श्रद्धालुओं को 125 किलोमीटर की यात्रा में 40 घंटे से ज्यादा समय लग गया।